पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/१९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

INTRODUCTION 21 280 मोहुप्पाइट। 14 3 120. 280 महाप्रीतिमुपागतः । 10 62. 281 बलु जन्तिऍहि णिरुदड णिम्मलु। 281 यंत्रसंवाहनाभिशःxxx अले यंत्रप्रयोगेण 1448. क्षणेन विषते सति । 10 68-69. VP. विविह-जलजन्त-विरइय-निरुद्धबल। 10 36. 282 माहेसरपुर-परमेसर। 14 4 9a. 282 माहिष्मतीपुरेशः । 1065. 283 कहि मिxxx भवलिउ जलु etc. 283 काचिचंदनलेपेन चकार धवलं जलम् । 14 6 2-8. अन्या कुंकुमपंकेन वृतचामीकरप्रभम् ॥ धौतताम्बूलरागाणामधराणां सुयोषिताम् । चक्षुषां व्यंजनानां च लक्ष्मीरमवदुत्तमा ॥ 10 81-82 284 पहणइ कोमल-कुवलय-धाएं। 147 1. 284 VP. घेत्तुं इन्दीवर हणइ अना। 10 39. 285 विट्ठई णहरई थण-सिहरोवरि सुपहुसईं। 285 कुचौ नखपदाहिती। 10 71. 14 7 9a, VP. उरे नहक्खयं दहण । 1040. 286 तिहुअणे सहसकिरण पर धण्णड । 286 प्रथितो भुवि xxx सहस्ररश्मिरैवैष सत्यं जुबह-सहासु जासु॥ 14 8 2-3. परमसुन्दरः ॥ सहस्रं यस्य दाराणाम् ॥ 10 65-66, 287 रावणो वि जल-कील करेप्पिणु, 287 (a) रावणोऽपि सुखं मास्वा। 10 85. सुन्दर सियय-वेइ विरएप्पिणु ॥ (b) सिकता-रचितात्तुम-पीठबन्ध। 1087. उपरि जिणवर-पटिम चडावेंवि, (6) प्रतिमाहतः। 10 86. विविह-विताण-णिवहु वधावेंवि ॥ (d) स्थापयित्वा । 10 89. (e) °वितानके। 10 88. XXX XXX XXX णाणाविहहिँ विलेषण-भेऍहि, (f) धूपैरालेपनैः पुष्पैर्मनो बहुभकिभिः । दीव-धूव-वलि-पुप्फ-णिवेऍहिँ ॥ विधाय महती पूजाम् ॥ 1089-90. पुज करवि किर गायइ जाहि ॥ VP. (a) वरवालुया पुलीगे। 10 47. 14 9 1-5a. (b) कणयपीढे ठावेह पडिमाओ जिणवरिन्दाणं । 10 46. (०) धरिय-वियाण। 10 47. (d) काऊण महापूयं संथुणहxxx तस्स संथुणन्तस्स तओ ॥ 10 47-48. 288 दहमुह पडिम लेवि विहरप्फड। 288 दशाननः क्षिप्रं गृहीत्वा प्रतियातनाम् । 1498. 1092. 289 दुरिउ गवेसहो। 14 9 9a. 289 विज्ञायतामरम् । 1092. VP. गवेसेह। 1049. 290 'लेहु' भणेप्पिणु। 14 13 9a. 290 आशापयत् xx। त्वरितं गृह्यतामेषः । 10 99. 291 सलिलहों णीसरित। 15 16. 291 निर्जगाम जलाशयात् । 10102. 292 थिउ समुहाणणु। 15 1 9b. 292 VP. अहिमुहं । 1059. 293 मम्मीसिट। 1522 298 दत्वाऽभयम् । 10102.