पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/१९७

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22 PAUMACARIU 15 8 3-6. 294 विउ परोप्पा सुर-पवर ॥ 294 (a) विचेहरंबरे वाचः सुराणाम् xxx। 'यहाँ महौ भणीह रक्खेहि किय, अहो महानयं वीरैरन्यायः कर्तुमीप्सितः। एषु बहु मण्णु वि गयणे थिय ।। 10 108-109, XXX XXX X X X (b) बहवश्च नभश्चराः। 10 110. तं णिसुनेंवि णिसियर लजियई, (c) इति श्रुत्वा xxx अपायुक्ताः थिय महियलें ॥ भुवं याताः खेचराः। 10111. 295 परिहारें मक्खिड रावणहाँ, 295 प्रतीहारेण चाख्यातमिति कैलासकम्पिने । परमेसर xxx1154 1 'देव xxx 10 120. VP. पडिहारेणक्खाए। 106. 296 तिजगविहूसणे मारहिउ । 15 4 6 296 मारुह्य त्रिजगद्भूषनामानं मत्तवारणम् । 10 122. VP.आरूढोxxx भुवणालद्वारमत्तगयं । 1061. 297 माहेसर-पुरवह विरहु किउ, 297 सहस्रकिरण चक्रे विरथं xxx ततः णिविसद्धे मच-गइन्दें घिउ ॥ 15 5 1. सहस्रकिरणः समारुख द्विपोत्तमम् । 10123-124. VP. विरहो सहस्सकिरणो को खणद्धण संगामे।xxx आरूढो गयवरं ॥ 1063. 298 सण्णाहु खुरुप्में कप्परिट । 15 5 3 298 मुक्ता बाणा निर्भिद्य कङ्कटम् । 10 125. VP. मुच्चइ सुनिसियवाणे दहमुह-सबणमेयकरे। 1064. 299 कहि धणु सिक्खियड ॥ 299 कुतस्तव उपदेशोऽयमायातः xxxi जजाहि ताम भम्भासु करें, तावद्धनुर्वेदमधीश्व कुरु च श्रमं ततो मया पछले जुनेजाहि पुणु समरें। 15 5 5-6 समं युद्धं करिष्यसि ॥ 10 127-128. VP. सिक्खाहि ताव रावण धणुवेयं x ताहे मए समाणं जुज्मसु । 1065. 300 परवा जिगलें कोन्तेण हड । 15 5 8. 300 बिभेद xx तं कुन्तेनालिकपट्टके 10 129. 301 वाम दसासैंण मायासेंण, 301 तावदुत्पत्य xxx तमष्टापदकम्पनः । उप्पएवि पहुधरियउ। 15596. xxx गृहीतवान् । 10 131. 302 जिउ णिय-णिलयहाँxxx णियलियउ। 302 नीतः खनिलय बद्धा । 10132. 1561. VP.बन्धिऊण नीओ निययावास। 1068. 303 में भइयऍ रवि गउ अत्यवणु । 15 62_303 इव नी(भी)तिमुपागतः सहनरश्मिरैदस्तम्। । 10133. 304 जहचारण-रिसिहं xxx सयकरहों 804 शतबाहुरथ श्रुत्वा xxx जहाचारण- xxx गय वत्स । 1566-7 लब्धीशः । 10 139. 305 गुरु वन्दिय दिग्ण मासणहें 15 7 1. 305 प्रणामं च चक्रे । वरासनोपविष्टे यतौ ॥ 10 142-143. VP.कयपणामोxxदिण्णासण। 10 72. 306 मुऍ सहसकिरण। 1572 306 सहस्रकिरणं ततो मुख । 10 147. VP. मुश्चम इमं सुर्य मे। 1076. 307 पणवेप्पिणु पुषह रावणेण । 15 74. 307 उवाच कैकसीपुत्रः प्रणतः। 10 148.