पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२२१

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पउमचरित [क. ७,९,61-4 20 www ॥ घत्ता ॥ चलण णवेप्पिणु विण्णविउ सेणिउ महराओ"। 'जं झायहि जं संभरहि सो जग-गुरु आओ'॥९ [८] जण-वथण. कण्णुप्पलिकरेवि सिंहासण-सिहरहों ओयरेवि ॥१ गउ पयइँ सत्त रोमश्चियङ्गु पुणु महियलें णाविउ उत्तमङ्गु ॥२ देवाविय लहु आणन्द-भेरि थरहरिय वसुन्धरि जग-जणेरि ॥ ३ स-कलत्तु स-पुत्तु स-पिण्डवासु स-परियणु स-साहणु सट्टहासु ॥४ गउ वन्दण-हत्तिएँ जिणवरासु आसण्णीहूउ महीहरासु ॥५ " समसरणु दिदु हरिसिय-मणेण परिघेढिउ वारह-विह-गणेण ॥६ पहिलऍ" कोट्टएँ रिसि-संघु दिदु वीयर् कप्पङ्गण-जणु णिविडु ॥ ७ तइयऍ" अजिय-गणु साणुराउ चउथऍ" जोइस-वर-अच्छराउ ॥८ पञ्चमें विन्तरि सुहासिणी छट्टएँ" पुणु भवण-णिवासिणीउ ॥९ सत्तम भावण गिवाण साव अट्ठमें विन्तर संसुद्ध-भाव ॥ १० 15 णवमएँ जोइस णमिउत्तमङ्ग दहमएँ कप्पामर पुलइयङ्ग ॥ ११ एयारहमऍ" णरवर णिविट्ठ वारहमऍ" तिरिय णमन्त दिट्ठ ॥ १२ ॥ घत्ता ॥ दिगु भडारउ वीर-जिणु सिंहासण-संठिउ। तिहुवण-मत्थऍ सुह-णिलएँ णं मोक्खु परिद्विउ ॥ १३ 17 A सेणिउं, 18 15 महराउ, A महाराउ. 19 5 झायहि.20 5 संभारहि.21 PHA भाउ. 8. |::.जिग'.. जिण rectal to जग ..: वयणइ.35 कण्णु- प्पले. 4"; उववरेवि, 51.5: पयइ. 6 महिअले, महियलि. 7 नामिय, 8 णामिय. 81. वंदणभत्तिए. 9]. आसणाहू. 5 आसण्णीहूय. 105 पहिलइ कोटइ. 11 Ps "जण. [25 तइअइ. 18 अजि. 14 15 चउथइ, A चाउथए. 15 A missing. liवैतरेंउ, : वितरेउ. 17 1 5 मुहासिणिउ. 18 Ps छट्टमि. 10 1 5 भवणि.00 • सत्तमि. 15 अट्टमि. 22 Ps वंतर. 23 s णवमइ, A णववमई. 91 नमिउ .5 दहमइ, दहमई. 26s एयारहमइ. 27 5 वारहमइ, A वारहमई. 28 = किह आसण. 29 1 तिहुमण. 5 लिहुयण. 30मस्थइ. ४ आराधयामि (2). [८] १ अवतीर्णः (१). २ दासीजनः. ३ सानन्दः. ४ सर्वाणि (?).