पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२२२

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क०९,-९, १०, १-0] पढमो संधि [९] सिर-सिहरें' चडाविय-करयलग्गु मगहाहिउ पुणु वन्दणहँ लग्गु ॥१ 'जय णाई सब-देवाहिदेव किय-णाग-णरिन्द-सुरिन्द-सेव ॥२ जय तिहुवर्ण-सामिय तिविह-छत्तं अट्ठविह-परम-गुण-रिद्धि-पत्त ॥ ३ जय केवल-णाणुभिण्णं-देह वम्मह-णिम्महण पण?-णेह ॥ ४ जय जाइ-जरा-मरणारि-छेय वत्तीस-सुरिन्द-कियाहिसेय ॥५ जय परम परम्पर वीयराय सुर-मउर्ड-कोडि-मणि-चिट्ठ-पाय ॥६ जय सब-जीव-कारुण्ण-भाव अक्खय अणन्त णहयल-सहावै॥७ पणवेप्पिणु जिणु तग्गय-मणेण पुणु पुच्छिउ गोत्तमसामि" तेण ॥८ । घत्ता। 'परमेसर पर-सासणेहिँ" सुबइ विवरेरी। कहें जिण-सासणे" केम थिय कह राहव-केरी ॥९ [१०] जगें लोऍहिँ ढंकरिवन्तएहिँ उप्पाइउ भन्ति भन्तएहि ॥१ जई कुम्में धरियउ धरणि-वीदु तो कुम्म पडन्तउ केण 'गीदु ॥२ जइ रोमहों तिहुअणु उवरें' माइ तो रावणु कहिँ तिय लेवि जाई ॥३ अण्णु वि खरदूसण-समरे" देव पंहु जुझई सुज्झइ भिन्चु कॅव ॥४ किहं "तियमई-कारणे" कविवरण घाइजइ वालि सहोयरेण ॥ ५ किह वाणर गिरिवर उवहन्ति वन्धेवि मयरहरु समुत्तरन्ति ॥ ६ किह रावण दह-मुहु वीस-हत्थु अमराहिव-भुव-वन्धण-समत्थु ॥ ७ वरिसद्ध सुअंई किह कुम्भयण्णु महिसा-कोडिहि मि ण धाई अण्णु ॥८ 9. 1 PS सिरि सिहरि. 2 वंदहि, 5 वंदणहिं. 3नाह. 4 5A तिहुपण. 5 P °छन्न. 6 P नाणुभिषण'. 7 जय वम्महणिम्महणटणेह. 8 12 °मउदि. 9s णहयलि. 11 P गउतम, गउतमु, 12 A सामिएण. 13_P 5 °सासणेहि, A सासणिहिं. 14 SA कहि. 15A सासणि. 16 P छिमा, डिआ. 10. 1 ] जग. 2 मंतिं. भंतिएहिं. 4 PS जय. 6 SA तिहुयणु. 7 ! उवरि, A उयरि. 81%A कहि. 9 8 जाई. 10 ' सहदूसण. 11 सेण्णि, 5 सरिस. A समरि. 12 जुज्मुई. 189 कम. 15 A तीमई. 165 कारणि. 17 A कइवरेण. 18 5 वाले. 19 s A वंधिषि. 20 P रामणु. 21 $ सुयइ .25A कोडिहिं मि. 2018 चरह. [१०] १ हठोक्तियुक्तः. २ भ्रान्तयः. ३ संशययुक्तचित्तः, ४ धृतः, व्याप्तः. ५ रामाव- तार-विष्णोः. ६ रामः. ७ स्त्रीनिमित्ते. ८ सुग्रीवेन. ९ अभिलषणशीलः. पउ. चरि.2 20 10 ४ सभाव. 58 कुम्म. 14 कह.