पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२४७

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10) ३४ पउमचरित [क०२,३-९,३,१-१ णवणवई सहास महागराहुँ वत्तीस सहास देसन्त हुँ ॥३ अवराई मि सिदइँ जाइँ जाइँ को लक्खेंवि सक्कइ ताई ताइँ ॥ ४ पर एकुण सिज्झइ साहिमाणु सय-पञ्च-सवाय-धणु-प्पमाणु ॥५ तित्थङ्कर-णन्दणु तुह कणिट्ठ अट्ठाणवइहि” भाइहिं वरिङ ॥ ६ । पोअण-परमेसरु चरम-देहु अखलिय-मरहुँ जयलच्छि-गेहु ॥७ दुबार-वइरि-वीरन्त-कालु णामेण वाहुवलि वल-विसालु ॥ ८ ॥ घत्ता॥ सीहु जेम पक्खरियउ खन्तिएँ धरियउँ जइ सो कह वि 'वियट्टइ। तो सहुँ खन्धावारें एक्क-पहारें पंई मि देव दलवट्टई॥९ [३] तं वयणु सुणेवि दट्ठाहरेण भरहेण भरह-परमेसरेण ॥ १ पट्टविय महन्ता तुरिय तासु 'वुच्चइ करे केर णराहिवासु ॥२ जइ णउ पडिवण्णु कयावि एम ता तेम करहु महु भिडइ जेम' ॥३ सिक्खविय महन्ता गय तुरन्त णिविसद्धे पोयण-णयरु पत्त ॥ ४ पुज्जेवि' पुच्छिय 'आगमणु काइँ तेहि" मि कहिय. वयणाई ताई ॥५ 'को तुहुँ को भरहु ण भंड को वि पुहवीस दीसइ गम्पि तो वि ॥ ६ जिह भायर अट्ठाणवइ इयर जीवन्ति करेंवि तहाँ" तणिय केर॥७ तिह तुहु मि मडफरु परिहरेवि जिउ रायहाँ केरी केर लेवि ॥८ ॥ घत्ता ॥

तं णिसुणवि भय-भीसें वाहुवलीसें

भरह-दूअ णिब्भच्छिय। 'एक केर वप्पिक्की पिहिमि गुरुकी अवर केर गं पडिच्छिय॥९ 7 णववइ. 8 | महागराहु, । महागराह.. दसन्तराहु, A देसन्तराहं. 10 ]' अवराइ वि, A अवराई मि. JIPS सिद्धइ. 1 जाइ. 13A लक्खि वि. 14 इक. 15s णवइहि भाइहि. 165A पोयण'. 17s "मरह. 18 F S वीरत्तकालु. 19 " धरिअउं. 20 P s कह व.: 1 S सहु...' ।' पक्क.23 पई वि, 8 पह वि, A पई मि. 3. 1 1A करि. 2 A कयाइ. 3 1 सिखविय. 4 5 तुरंत, A तुरंता. 5s णिविसद्ध, A निमिसदि. 65 पत्तु. 7 ५ पुजिवि. 8' पुच्छिम, A पुच्छिउ. 9 s आगणु. 10 A तेहिंमि. 11 P कहिअई, कहियइ. 1:28A वयणाइ. 13 3A तुहु. 14 PA न, S त. 15 Ps किंपि. 16 A पिहिवीसरु. 17 1 तो वि गंपि, तो वि गंपि. 18 5 करिवि. 19 5 तहु. 20 PA तुहुं. 21 मडप्फ.2 करेवि. 23 णिसुणि.24 1 णिम्भच्छिभ, s णिभच्छिया. 25 P वपकी. GA विहिंमि. 27 A गुरुक्की. 28 A के. 29s पडिच्छिभा, पडिच्छिम, A परियच्छिय. 15 9.1 [२] १ महा-आगर-धातूत्पत्तिस्थान. २ विघटते. [३] १ भयस्यापि भीष्मेण. २ न परिज्ञाता.