पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२६०

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७ क०९,६-११,१०,१-९] पञ्चमो संधि 'म जेहउ केवल-संपण्ण एक्कु जि रिसहु देट उप्पण्णउ ॥६ पइँ जेहउ छक्खण्डै-पहाणउँ भरहँ-णराहिउ एकु जि राणउँ ॥ ७ पइँ विणु दस होसन्ति गरेसर मइँ विणु वावीस वि तित्थङ्कर ॥ ८ णव वलएव णव जि णारायण हर एयारह णव जि दसाणण ॥९ अण्णु वि एकुणसहि पुराण जिण-सासणे होसन्ति पहाण. ॥ १० $ ॥ घत्ता। 10 तोयदवाहणु ताम भावे पुलउ वहन्तउ । दस-उत्तरेण सएण भरहुँ जेम णिक्खन्तउ ।।११ [१०] णिय-णन्दणहों णिहय-पडिवक्खों लङ्का-णयरि दिण्ण महरक्खहों ॥ १ वहवें काले सासय-थाणहों अजिय-भडारउ गउणिवाणहों ॥२ सयरहों सयल पिहिमि भुञ्जन्तहों रयण-णिहाणइँ परिपालन्तहाँ ॥ ३ सट्टि सहास हूय वर-पुत्तहुँ सवल-कला-विण्णाण-णिउत्तहुँ ॥ ४ एक-दिवसे जिण-भवण-णिवासहों वन्दण-हत्तिएँ गय कइलासंहों ॥ ५ भरह-किय. मणि-कञ्चण-माणइँ चउर्वास वि वन्देप्पिणु थाण. ॥ ६ भणई भईरहि सुट्ट वियक्खणु 'करहु किं पि जिण-भवणहुँ रक्खणु ॥७ कडेवि गङ्ग भमाहुँ पासेंहिं' तं जि समथिउँ भाइ-सहासहि ॥८ ॥ घत्ता॥ दण्ड-रयणु परिचिन्तेवि खोणि खणन्तु भमाडिउ। पायालइरिहें णाई वियड-उरत्थलु फाडिउ ॥९ 15 28 1015 मइ. 11 • A °संपण्णउं. 1: A उप्पण्पाउं. 1315 पइ, A तई. 14 ' खंड 15 PA पहाणउं. 165 भरहु. 17 'A रापाउं. 18 s पद. 19 A इकुणसहि. 20 P पुराणइ. 21 PS जिणसासणि. होहंति.85 भरहो. 10. 1 PS अजिउ भडारहो.' पिहिवि. 3 ('"णिहाणइ. 4 1 पुत्तहु, ७ पुत्तहो, A "पुत्तहं. 5 s णिउत्तहु, A °निउत्तह. 6 : वंदणभत्तिए. 7 A कलासहो. 8 5 "कयइ. 9 ७°माणइ. 107 गणइ, ठाणइं. 11 A भणदं. 1: विभवणु. 13 1 करहु. 14 °भवणहु, भवणहो. 155 रक्खणो. 16। कनिवि, A कद्दे वि. 17 1 भमाडहु, । भमाढहो. 188 पासेहि. 19 समच्छिउ. 20 सहासहिं. : परिचिंतित्रि, A परिविंधेवि. 22 खमंतु. 23 PS पायालइरिहि णाइ. [९] १ आगामिक. २ अतिक्रांता. [१०] १ भागीरथि. २ पातालगिरि.