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पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२९१

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पउमचरित [0०२,७-१1३-९ [२] अवलोइये वहु रयणासवेण णं अग्ग-महिसि सइँ वासवेण ॥१ सु-णियम्विणि परिचक्कलिय-थणि इन्दीवरच्छि पङ्कय-वयणि ॥२ 'कसु केरी कहिँ अवइण्ण तुहुँ त दूरे दिहि जे जणई सुहु' ॥३ • तं सुणेवि" स-सङ्क कण्ण चवइ 'जइ जाणहों" पोमविन्दु णिवइ ॥४ हउँ तासु धीर्य केण ण वरिय कइकसि गामें विजाहरियं ॥५ गुरु-वयणेहि आणिय एउ वणु तउ दिण्णी करें" पाणिग्गहणु' ॥ ६ तं णिसुणेवि सुपुरिम-धवलहरु उप्पाइ विजाहर-णयरु ॥७ कोकाविउ सयलु वि वन्धुजणु सहुँ कण्णएँ किउ पाणिग्गहणु ॥ ८ ॥ घत्ता॥ वहु-कालें सुविणउ लक्खियउ अत्थाणे णरिन्दहों अक्खियउ । 'फाडेप्पिणु कुम्भई कुञ्जरहुँ पञ्चाणणु उवरें पडु महु ॥९ [३] उच्चोलिहें चन्दाइच थिय तं णिसुणेवि दइएं 'विहसिकिय (१) ॥१ ॥ अट्ठङ्ग-णिमित्त जाणऍण वुच्चइ रयणासवराणऍण ॥ २ 'होसन्ति पुत्त तउ तिण्णि धणे पहिलारउ ताहँ रउद्दु रणे ॥ ३ जग-कण्टउ सुरवर-डमर-कर भरहद्ध-णराहिउ चक्कधरु' ॥४ परिओसें' कहि मि ण मन्ताहुँ णव-सुरय-मोक्खं माणन्ताहुँ ॥ ५ उप्पण्णु दसाणणु अतुल-वलु पारोह-पईहर-भुय-जुयलु ॥६ ५ पार्कल-णियम्वु वित्थिण्ण-उरु णं सग्गहों पचविउ को वि सुरु ॥७ पुणु भाणुकण्णु पुणें चन्दणहि" पुणु जाउ विहीसणु गुण-उवहि" ॥ ८ ॥ छत्ता॥ तो उप्पाडन्तु दन्त गयहुँ करयल छुहन्तु मुहे पण्णयहुँ । आयएँ लीलऍ रामणु रमई णं कालु वालु होऍवि भमइ ॥ ९ 2. 1A अवलोविय. 2 A सइ. 3 PS °थणे. 4 Ps °वयणे. 5 7 अवहन्न. 6A रउ. 7s दूरे, A दूरि. 8 5 जं, A जि. 9A जणई. 10 PA सुहुं. 11 Ps णिसुणिवि. 12 A जाण- हूं. 13 P Sहउ. 14P धूय, धूव. 15 s वरिया. 16 A नामे. 17 विजाहरिया, A विजाहरिय. 18 A करि. 19 5 पाणिग्गहणो. 20 सपुरिसधवलहरो. 21 s उप्पायउ. 22PS सहु. 23 A सिविणउं. 24 PS कुंभइ कुंजरहो. 25 I'S उअरे. 26 P महुं. 3. 1 P $ उच्चोलिहि.2 s थिया. 3 5 देवं. 4 P वियसिकिय, 8 वियसि किया. 5_PS णमित्तइ. 6 5 रउद्द. 7 परिउसें. 8 A कहिंमि. 9 P णव corrected to वर. 10 A सुक्ख. 11 s माणताहो. 12 A पञ्चल'. 13 PS विच्छिण्ण. 14. पुण्णु. 15S चंदणेहिं. 16 Ps उअहि. 17 PS गयह. 18 s पण्णहु. 19 A रमई. 20 A होवि भमई. [२] विकशित्वा. २ भयाण(न)क. ३ वडारोह (?). ४ विस्तीर्णः,