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पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२९३

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co पउमचरित [क०६, १-९,७,१-१ [६] तं णिसुणेवि मउलिय-णयणियएँ बजरिउ स-गग्गर-वयणियएँ ॥१ 'कउसिकि जणेरि एयहों तणिय पहिलारी वहिणि महु त्तणियं ॥२ वीसावसु विजाहरु जणणु ऍहुं भाइ तुहारउ वइसवणुं ॥ ३ । वईरिहिं मिलेवि मुहं मलिण किये मायरि व कमागय लङ्क हिय ॥ ४ एयहों उद्दालेंवि जेम तिय कइयहुँ माणेसहुँ राय-सिय' ॥५ रतुप्पल-हूआलोयणेण णिन्भच्छिय जणणि विहीसणेण ॥ ६ 'वइसवर्णहों केरी कवण सिय दहवयणहों णोक्खी" का वि किय ॥७ पेक्खेसहि दिवसहिं थोवऍहिं आऍहि अम्हारिस-देवहि ॥८ ॥ घत्ता॥ जमखेन्द-कुवेर-पुरन्दरेंहिँ रवि-वरुण-पवण-सिहि-ससहरहिं । अणुदिणु दणुवइ-कन्दावणहों घरे सेव करेवी रावणहों'॥९ [७] एकहि दिणे आउच्छेवि' जणणु गय तिणि वि भीसणु भीम-वणु ॥१ ॥ जहिं जक्ख-सहास. दारुण जहिँ मीह-पय रुहिरारुण ॥२ जहिँ णीसासन्तहिं अजयरेंहिं डोल्लन्ति डाल सहुँ तरुवरहिं ॥ ३ जहिँ साहारूढ' विप्पय अन्दोलण-परम-भाव-गयइँ ॥ ४ तहिँ तेहएँ भीसणे भीम-वणे थिय विजहें झाणु धरेवि मणे ।। ५ जा अट्ठक्खरॅहिँ पसिद्धि गय णामेण संव-कामन्न-रूयं ॥६ " सा विहिँ पहरेंहिँ जें' पासु अइयं णं गाढालिङ्गण-गय दइय ।। ७ पुणु झाइय सोलह-अक्खरिय जय(?)-कोडि-सहास-दहुत्तरिय ॥८ ॥ घत्ता॥ ते"भायर अविचल-झाण-रई दहवयण-विहीसण-भाणुसुइ। वणे दिट्ठ जक्ख-सुन्दरिऍ" किह जिण-वाणिऍ तिणि वि लोय जिह ॥९ 6. 1 Ps णिसुणिबि. 2 °लोयणइं, 'लोयणइ. 3 5 तणिया. 4 तणीम, S तणिया. 5 Ps विजाहर. G A उहु.7 P वहसवणु. 8 : वहरिहुं, वहरिहु. 9 १ मुहूं, SA मुहु. 10 SA मलण. 11 s किया. 12 $ हिया. 13 A उहालिवि. 14 s विया, A निय. 15 P कई यहु, s कहा, 4 कयह. 16s सिया. 17 P5 रनुप्पल'. 18 P: वयसवणहो. 19 P केरी, s जोखी. 208 कवि. 21 P पेक्खेसहिं. 225 आयहि.23 A देवयहिं. 24 °ससहरिहिं. 25 A वइ. 7. 1P माउरिधि, माउंच्छिवि. P SA जहि. 3 P > सहु. 4 A सप्पारूढई पिप्पयई. 5A विजहो. 6A °भय. 7 A missing. 8 5 अहम, 8 इ. 9 P °सहासय. 10 P. हुत्तरिय, 8 दुहोत्तरिया. 11 Ps ता. 12 4 रइ. 13 P S °सुंदरिहे. [६] धनदस्य पिता (पितुः) नाम. २ रावणस्य(?). ३ मनुष्यदेवैः, ४ कार्तिकेयः, षण्मुसः, [५] परिपत्रकार. २ बिया सर्वकामरूपिणी. ३ दुःखोत्तोर्णा.