पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/२९५

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८२ पउमचरित [क०९,९,१०,५-8899,1-4 ॥ घत्ता ॥ दस-दिसि-बहु अन्धारउ करेंवि ओरुम्भवि गजेंवि उत्थरेंवि । गउ णिप्फलु सो उवसग्गु किह गिरि-मत्थएँ वासारत्तु जिह ॥९ [१०] 5 जं चित्तु ण सकिउ अवहरेवि थिउ तक्खणे अण्ण माय धेरैवि ॥ १ दरिसाविउ सयलु वि वन्धुजणु कलुणउ कन्दन्तुं विसण्ण-मणु ॥२ कस-घाऍहिँ घाइजन्तु वणे 'णिवडन्तुद्वन्तइँ खणे में खणें ॥ ३ रयणासवु कइकसि चन्दणहि हम्मन्तइँ जई ण अम्हे गणहि" तो सरणु भणेवि पडिव(?र)क्ख करें" रिउ मारइ लग्गई पुत्त धेरै" ॥ ५ " तं पुरिसयार किं वीसरिउ णव-चयणु जेण कण्ठउ धरिउ ॥ ६ अहो भाणुकणं करें चारहडि सिरि भञ्जहि लग्गउ छार-हडि ॥ ७ अहाँ धरहि विहीसण जत्ताइँ वणे" मेच्छहिँ पिट्टिजन्ताई ।। ८ ॥ घत्ता ॥ 15 अरें" पुत्तहों णउ पडिरक्खें किय जं लालिय पालिय वड्डविय । सो" णिप्फलु सयल किलेसु गउँ जिह पावहाँ धम्मु विअक्खियः॥९ [११] जं केण विणउ साहारियउ तं तिणि वि जक्खें मारियउ॥१ पुणु तिहि मि जगहुँ दरिसावियंउ सिव-साण-सिवालेंहिँ खावियंउ ॥२ णवि चलिउँ तो वि तहों झाणु थिरु मायारावर्णउ करेवि सिरु ॥ ३ 20 अग्गएँ घत्तिउ अविचल-मणहँ भाइहिं रविकण्ण-विहीसणहँ ॥४ "तं णिऍवि सीसु रुहिरारुणउ ते झाणहाँ चलिय मणामणउँ ॥५ णिद्धइँ सुद्धइँ थिर-जोयण "ईसीसि पगलियइँ लोयण ॥ ६ 18 "दिसिहि, । दिशि. 19 1 रुजिवि. 201 उत्तरेवि. 10. 11' कलुणउं. 2 5 कंदंति. विसण्णु मणु. 48 कसघायहि, A कसघाएहि. 5 PSA "तुर्व्हते. 6 PA जि. 75 रयणासउ.8 P A चंदणहि, s चंदणेहिं. 9 हम्मतह, A हम्मतई. 10 8 तेयं. 11s वहिं, A गणहिं. 12 " A करि. 13 लग्गउ. 14 ' S A धरि. 155 के. 16s भाणकण्ण. 175 वण. 18 PA पिट्टिजंताहि, पिटिजंताइ. 19 A अरि. 20 SA पडिवक्ख. 21 2 8 तं. 22 A किउ.23 विआरकउ, A विभार कित. 11. 1 A साहारिमाउ.2PA मारिनउं. 3 दरिसाविअउं. 4 A खाविअडं. 5A चलिउं. 6 PS A "रावणउं. 7 2 मिरु. 8A रावणहं. 9 तें. 10 PA मणामणउं. 11 P A सुद्धए, 8 सुबइ. 12 Pइसीसि. [९] १ मेघः. [११] १ मनाक् मनः (१).