पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३१२

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क० १४,६-११-८] वारहमो संधि ' किंगय-घडउ गिल्ल-गिल्लोल' 'णं णं जलणिहि-जल-कल्लोल' ॥६ 'स-बवसाय जाय किं महिहर 'णं णं परिभमन्ति जलें जलयरें ॥७ एम चवन्त पत्त लंकारि जा तिकूड-महिहर-सिहरोवरि ॥८ जणु णीसरिउ सबु परिओसें दियवर-पंणइ-तूर-णिग्घोसें ॥९ णन्द-वद्ध-जय-सह-पउँत्तिहिँ 'सेसा-अग्घपत्त-जल-जुत्तिहिँ ॥१० ॥ घत्ता॥ लङ्काहिवइ पइड पुरे परिवधु पट्ट अहिसेउ किउ । जिह सुरवइ सुरवर-पुरिहिं तिह रज्जु से ई भु अन्तु थिउ ॥ ११

10 15 [१२. वारहमो संघि ]* पभणइ दहवयणु दीहर-णयणु णिय-अत्थाणे णिविट्ठउ । 'कहाँ कहाँ णरहों विजाहरहों अज्ज वि कवणु अणि?उ' ॥१ [१] तं णिसुणेवि जम्पइ को विणरु सिर-सिहर-चडाविय-उभय-करु ॥१ 'परमेसर दुजउ दुडु खलु चन्दोवरु णामें अतुल-बलु ॥२ सो इन्दहों तणिय केर करेंवि पायाल-लङ्क थिउ पइसरेंवि' ॥३ अवरेके दोच्छिउ णरवरेंण 'किं सकें किं चन्दोयरेण ॥४ सुबन्ति कुमार अण्ण पवल उच्छुरयहाँ णन्दण णील-णल' ॥५ अण्णेकें बुच्चइ 'हउँ कहमि दो-पासिउ जई ण घाय लहमि ॥ ६ किकिंधपुरिहिँ करि-पवर-भुउ णामेण वालि सूररय-सुउ ॥७ जा पारिहच्छि मइँ दिट्ठ तहों सा तिहुयणे णउ अण्णहों णरहों ॥८ 78 महिहरा. जलयरा. 9 P एय, एव. 10 A पुत्त. 11 A परिओसे. 12 PA पणय. 13 P एउत्तिहिं. 14 P अग्धवत्त. 15 Ps पुरिहे. 1Gs तिहं. 17 PS सयं.

  • Henceforth only those variant readings are recorded which

are significant from the point of view of grammar, metre or sense. Obviously corrupt or mere orthographic variants, if not otherwise significant, are mostly ignored. The Instr. Sin. forms in er are given in A mostly without the Anusvāra. These also are not recorded. 1. 1 A पभणई. 2 P भणिहिउ. 3 Ps सिहरे. 4 d चंदोयरु. 5 P भवरे. 6 s जहि. 7PS किकिंधतणउ, P. marginally, "किकिंधउरिहिं' पाठे. 8 A °मयर'. 9P 3 घड. 10 A पाडिहस्थि. २ आशिषा (१). [१] १ शत्रुः. २ वेगः.