पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३२४

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3 15 ....1-10101-] रहनो संधि [१] ॥ दुवई ॥ पुणरवि वारवार 'पोमाऍवि दसविह-धम्मवालयं । गड तेत्तहें तुरन्तु तं जेसहें भरहाहिव-जिणालयं ॥१ कहलासं-कोडि-कम्पावणेण किय पुज जिणिन्दहों रावणेण ॥२ फल-फुल्ल-समिद्ध-चणासई व सावय-परियरिय महाडई ॥३ अहिणव-उल्लाव विलासिणि व णर-दह-पूर्व खल-कुट्टणि ब ॥४ वहु-दीव समुदन्तर-महि व पेल्लिय-वलि णारायण-मइ ॥५ घण्टारव-मुहलिय गय-पड व मणि-रयण-समुजल अहि-फड ॥६ व्हाणहुँ बेस-केसावलि गन्धुक्कड कुसुमिय पाडलि ॥७ तं पुज करेंवि आडत्तु गेट मुच्छण-कम-कम्प-'तिगाम-भेउ ॥ सर-सज-रिसह-गन्धार-वाहु मज्झिम-पञ्चम-धइवय-णिसाहु ॥९ ॥घसा॥ महुरेण चिरेण पलोहॅण जण-वसियरण-समत्थऍण । गायइ गन्धषु मणोहरु रावणु रावणहत्थऍण ॥ १० [१०] ॥ दुवई॥ सालङ्कारु सु-सरु सु-वियेड्डु सुहावउ पिय-कलत्तु वै । आरोहि-अंध(व?)रोहि-थाइय-संचारिहिं सुरय-तत्तु वं ॥१ णव-बहुअ-णिडालु व तिलय-चारु णिग्यण-गयणयलु व मन्द-तारु ॥२ सण्णद्ध-वलं पिव लइयत्ताणु धणुरिव सज्जीउ पसण्ण-वाणु ॥३ तं गेउ सुणेप्पिणु दिण्ण णियय धरणिन्दे सत्ति अमोहविजय ।। ४ 'तियसाई णवेप्पिणु रिसह-देउ पुणु गड णिय-णयरहों कइकसेउ ॥५ पत्थन्तरें सुग्गीउत्तमासु उप्पण्णउ केवलु णाणु तासु ॥ ६ वाहुवलि जेम थिउ सुद्ध-गन्तु उप्पण्णु अण्णु धवलायवन्तु ।। ७ 9. 1P 5 दसबिहु. 2 P कालासे. 3 Ps पुष्प. 4A वणासई व. 5A महाग क. 6? धूम.7 Ps गाण?. 8 पंतिपगाम.98 पलोहएण. 10 A गायई. 10. 15 सुवियडड. 2 Ps . PS °यधरेहिं, यघरोहि.4 Ps °थाहि. 52 प, बंतु. 6 8 °चाणु. 7 तिवसाह, marginally, 'तीसाहई' पाठे, तियसाह, । लियसाहि. 8 Ps सुग्गीषसहोयरासु. 9 - उप्पण्णउं. 10 P केवल. [९] १ लाघां कृत्वा. २ प्रवृत्तेन, [१०] १ त्रिंशदिनानि. .. H