पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३२३

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पडमचरित [2002-1016-1. तं सा सुणेवि मणोहरेण सुरवर-करि-कुम्भ-पयोधरेण ॥ २ केऊर-हार-णेउर-धरेण खणखणखणन्त-कण-करेण ॥ ३ कश्ची-कलाव-रोलिरेण मुह-कमलासत्तिन्दिन्दिरेण ॥४ विम्भम-विलास-भूभङ्गुरेण हाहारउ किउ अन्तेउरेणं ॥५ • 'हा हा दहमुह जय-सिरि-णिवास दहवयण दसाणणे हा दसास ॥६ वीसद्ध-गीव वीसद्ध-जीह दससिर सुरवर-सारङ्ग-सीह ॥७ मन्दोवरि पभणइ 'चार-चित अहों वालि-भ -भडारा करें परित्त ॥८ लकेसहों जाइ ण जीउ जाम भत्तार-भिक्खे महुँ देहि ताम' ॥९ ॥ धत्ता । तं कलुण-वयणु णिसुणेप्पिणु धरणिन्दै उद्धरि धरु । मघरोहिणि-उत्तर-पत्तेण अङ्गारेण वै अम्बुहरु ॥ १० [८] ॥ दुधई ।। सेल-विसाल-मूल-तल-तालिउ लङ्काहिउ विणिग्गओ। केसरि-पहरे-णहर-खर-बवढण-चुको इव महग्गओ ॥१ लुअ-केसर-उक्खय-णहणिहाउ णं गिरि-गुह मुऍवि मइन्दु आउ ॥ २ कुण्डलिय-सीस-कर-चरण-जुम्मु णं पायालहों णीसरिउँ कुम्मु ॥३ कैक्खड-झड-णिसुढिय-फर्ड-कडप्पु णं गरुड-मुहहों णीसरिउ सप्पु ॥ ४ मयलञ्छणु दूसिउँ तेय-भन्दु णं राहु-मुहहों णीसरिउ चन्दु ॥५ गउ तेत्तहें 'जेत्तहें गुण-गणालि अच्छइ अत्तावर्ण-सिलहिँ वालि ॥६ परिश्चेवि वन्दिउ दससिरेण पुणु किय गरहण गग्गर-गिरेण ॥७ 'मई सरिसउ अण्णु ण जगें अयाणु जो करमि केलि" सीहें समाणु ॥८ मई सरिसउ अण्णु ण मन्द-भग्गु जो" गुरुहु मि करमि महोवसग्गु ॥९ ॥ घत्ता॥ "जं तिहुवण-णाहु मुएप्पि] अण्णहों णमिउ ण सिर-कमलु । तं सम्मत्त-महाहुमहों" लडु देव पइँ परम-फल ॥१० 2 P°करंत', 8 °करंनु. 3 PS खोलिएण. 4 A सुह. 5 Ps सत्ती'. GA अंतरेण.71 बसासण. 8A सुरवइ.9 Ps °चित्त. 10 P परितु. 11 : भिवखु. 12 P 3 सुहु. 13 Ps पद्धरिउ. 14 P wanting, A वि. 8.1 8 wanting. 2 PA60°, 3 P 573, A Hirit. 4 Perforate. 5 °सीसु. 6 P 8 णीसरिय. 7 PS°फण.8 A दूसिय. 9 Ps जेतहे तेचहे. 10 PS ता. पणि. 1] A सिलह. 12 P S परिचिवि, A परियचिव. 13 P जें, जं. 14 PS कील. 15 जं. 16 8 करइ गुरुहु मि महोवसरगु. 17 8 जु. 18 Aणिएपिणु. 19 Ps मिर BOTET. 20 S A RAT. 21 This pāda is defective by one mora. २ पर्वतं (2) प्रत्युद्धरितम् (P's reading). [८] १ प्रहतः. २ कर्कश. ३ भान 21