पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३२७

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११४ 10 पउमचरित [क०,५-१,२,1-4 फग्गुण-खलाँ दू णीसारित जेण विरहि-जणु कह व ण मारिउ ॥३ जेण वणफइ-पय विभाडिय फल-दल-रिद्धि-मडफर साडिय॥४ गिरिवर गाम जेणं धूमाविय वण-पट्टण-णिहाय संताक्यि ॥५ सरि-पवाह-मिहुणइँ णासन्त जेण वरुण-घेण-"णियलेंहि पित्तइँ॥ ६ । जेण उच्छु-विड जन्तेहिं पीलिय पव-मण्डव-णिरिक आवीलियं ॥७ जासु रों पर रिद्धि पलासहों तहों मुंहु मइलेवि" फग्गुण-मासहों ।। ८ ॥ घत्ता॥ पङ्कयचयणउ कुवलय-णयणउँ केयइ-केसर-सिर-सेहरु। पल्लव-करयलु कुसुम-णहुज्जलु पइसरइ वसन्त-णरेसरु॥९ [२] डोला-तोरण-वारें पईहरें पइडे वसन्तु वसन्त-सिरी-हरें ॥१ सररह-वासहरहिँ रव-णेउरु आवासिउ महुअरि-अन्तेउरु ॥ २ कोइल-कामिणीउ उजाणेहि सुय-सामन्त लयाहर-थाणेहि ॥३ पङ्कय-छत्त-दण्ड सर-णियरेंहिँ सिहि-साहुलउ महीहर-सिहरहिं ॥ ४ " कुसुमा-मञ्जरि-धय साहारेंहिँ दवणा-गण्ठिवाल केयोरेंहिँ ॥५ वीणर-मालिय साहा-चन्देहि महुअर-मत्तवाल (१) मयरन्देहि ॥६ मैच-ताल कल्लोलावासेंहिं 'भुआं अहिणव-फल-महणासेंहि ॥ ७ एम पड्डु विरहि विद्धन्तउ गयवइ-चम्भेहि अन्दोलन्तउ ॥ ॥घत्ता ॥ पेक्वेवि एन्तहों रिद्धि वसन्तहों महु-इक्खु-सुरासव-मैन्ती । णम्मय-वाली भुम्भल-भोली णं भमई सलोणहाँ रत्ती ॥९ 7 A होइ. 8 P8 जेम. 9 P आचेलिय, 8 आवेलिय. 10 P S रज. 11 P A मुहूं. 12 Ps महलवि, A महलिवि. 13 A °वयणउं. 14SAणयणउं. 15s केसररय', A केसर. 16 A सिहरु. 178 वसंतु. 2. 15 जोलोतोरणपास. 2 ? पहु. 3 A वसंतु. 4 P °मासंत. 5 PSA केयारिहिं. 6 P marginally, 'वंदरसाहिय मानावं देहि' पाठे. 7 : 'माल'. 8 A मंज. 9 4 भुजा. 10 विरहिं. विरहु. 11 Pईखसुरारस. 124 मत्ती. 13 8 मंभल, मुंभर'. 14A भमई. 20 ३ पालयः (१). ४ समुदायः. ५ नी (१). ६ मेघः (१). ७ जलबन्धः. ८ चौरः. [२] सिगिरिका. १ भण्डार-प(पालकाः. ३ भने भोजकाः. ४ खितिषु (). ५ अभिनवा, मटिला.