पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३३२

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....,811,-९,१२,१बिउदहमो संधि पाहुड लेप्पिणु 10 एण पयारेण ॥ धत्ता ॥ अरमिय-रामहों णिरु णिकामहों आरूसेंवि परम-जिणिन्दहों। पुज हरेप्पिणु गय णावइ पासु समुद्दों ॥९ [११] तहि अवसरे जे किङ्कर धाइय ते पडिवत्त लएप्पिणु आइय ॥१ कहिय सुणन्तहाँ खन्धावारहों 'लइ एत्तडउ सारु संसारहों ।। २ माहेसरवइ णर-परमेसर सहसकिरणु णामेण णरेसरु ॥३ जा जल-कील तेण उप्पाइय सा अमरेहि मि रमेंवि ण णाइय ॥४ सुबह कामु को वि किर सुन्दर सुरवइ भरहु सयर-चकेसर ॥५ महवा सणकुमार ते सयल वि णउ पावन्ति तासु एक-थल वि॥६ का वि अउव लील विम्माणिय धम्मु अत्थु विण्णि वि परियाणिय ॥७ काम-तत्तु पुणु तेण जें णिम्मित अण्ण रमन्ति पसव-कोदूमि ॥८ ॥ घत्ता ॥ मई पहवन्तेण भुयणे तवन्तण गर्यणत्थु पयङ्गु ण णा(भा?)वइ । पिय-चावारेण थिउ सलिलें पईसेवि णावई' ॥९॥ [१२] अवरेकेण वुत्तु 'मइँ लक्खिउ सच्चउ सव्वु एण जं अक्खि ॥१ जं पुणु तहाँ केर अन्तेउरु णं पञ्चक्खु जे मयरद्धय-पुरु ॥ २ णेउर-मुरयहुँ पेक्खणया-हरु लायण्णम्भ-तलाउ मणोहरु ॥ ३ सिर-मुह-कर-कम-कमल-महासरु मेहल-तोरणाहँ छण वासरु ॥४ थण-हत्थिहिँ साहारण-काणणु हार-सग्ग-वच्छहों गयणगाणु ॥ ५ अहर-पवाल-पवालायायरु दन्त पन्ति-मोत्तिय-सद्दणयरु ॥६ जीहा-कलयण्ठिहिँ गन्दणवणु कण्णन्दोलयाहँ वेतत्तणु ॥७ लोयण-भमरहुँ केसर-सेहरु भमुहा-भङ्गहुँ णहावय-घरु ॥८ ॥ धत्ता॥ काई वहुत्तेण [पुण]पुणरुत्तेण मयणग्गि-डमरु संपण्णउ । गरहुँ अणन्तहुँ मण-धण-वन्तहुँ धुत चोर चण्डु उप्पण्ण' ॥९ 11. 12 सुणतह. 2 PS कासु. 3 सयरु, सह. 4 PS मघउ, 5A जिम्माणिव. 6 परिमाणिय. 7s 'कोडमिउ, कोदूसिउं. 8 मह. 9 पवांवएण, एक- तएण. 10 P गयणस्थ. 12. 1P भक्खिलं.2 सिरि corrected to सिर, सिरि. 3 8 तोरणाई. 42s वित्तत्तणु. 5 P8 कोइ.6 °डमर.7 Ps संपण्ण.8 पोरवंदु. 9 PA उप्पणमउं. ३न रमिता रामाः खियो येन परमेश्वरेण. [११] १ खण्डमेकम्, १ सुरतम्. ३ न शोभते. [१२] साधारण-नाम-देशा, 21 $