पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३३१

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सरहर्स दुक्कर माणेवि मुक्का w 30 पउमचरित [.८,८-९,९,1-98101-८ इत्यु पंवाहुँ मणोहर-वन्त जो जुवहहिं गुज्झन्तु वि पत्तउ ॥८ ॥ घत्ता ॥ जेण खणन्तरे सलिलब्भन्तरें गलियंसु-धरण-वावारऍ। अन्तेउरु एकऍ वारऍ॥९ [९] रावणो वि' जल-कील करेप्पिणु सुन्दर सियय-वेइ विरएप्पिणु ॥१ उप्परि जिणवर-पडिम चडावेंवि विविह-विताण-णिवहु वन्धावेवि ॥२ तुप्प-खीर-'सिसिरेंहिँ अहिसिजेवि' णाणाविह-मणि-रयणेहिं अश्चेवि ॥ ३ णाणाविहहिं विलेवण-भेऍहिँ दीव-धूव-वलि-पुप्फ-णिवेऍहि ॥ ४ पुज करेंवि किर गायई जाहिँ जन्तिएहिँ जलु मेलिउ ताहिँ ॥५ पर-कलत्तु संकेयहों दुकर्ड णाइँ वियहाहँ माणेवि मुक्कउँ ॥६ धाइउ उहय-तडइँ पेल्लन्त जिणवर-पवर-पुज रेल्लन्तउ ॥ ७ दहमुहूँ पडिम लेवि बिहडप्फड कह वि कह वि णीसरिउ वियावर्ड ॥८ ॥ धत्ता ॥ भणइ 'णरेसहों तुरि गवेसहों किउ जेण एउ पिसुणत्तणु । किं वहु-वुत्तेण तासु णिरुत्तेण दक्खवमि अज्जु जम-सासणु'॥९ [१०] तो एत्थन्तरें लद्धाएसा गय मण-गमणाऽणेय गवेसा ॥१ रावणेण सरि दिट्ठ वहन्ती मुय-महुयर-दुक्खेण व जन्ती (2) ॥२ चन्दण-रसेंण व वहल-विलित्ती जल-रिद्धिऍ गं' जोषणइत्ती ॥ ३ मन्थर-चाहेणं व वीसत्थी जच्च-पट्टवत्थई व 'णियत्थी ॥४ वीणाहोरण व पङ्गुत्ती वालाहिय-णिदाएँ व सुती ॥५ मल्लिव-दन्तेहिँ व विहसन्ती 'णीलुप्पल-णयणेहि व णिएन्ती ॥ ६ बउल-सुरा-गन्धेण व मत्ती केयइ हत्थेहि व णञ्चन्ती ॥७ "महुअरि-महुर-सरु व गायन्ती उज्झर-मुरवाइँ व वायन्ती ॥ 13 Ps पहाड. 14 P °वत्तउ, °मत्तउ. 15 A जुज्झतु. 16 s सरहसे. 18 रावणेण. 2 P SA अहिसिंचिवि. 3 गायई. 4 PS दु. 5A विषहे. 6 P मुकलं. 7 Ps उभय'. 8 P धोवंतर, धोवंतर. 9 P A दहमुहूं. 10 Ps विवावड. 11 PA मणई. 12 PS तुरिय. 10. 180, A ma. 2 A Car for ta. 3 P s e, A 7981°. 4 P A forretto गइ, वीणाहोरणा. 5A मलिय. 6 - म. 7 This and the next Pada transp. osed in A.8 8 वमन्ती. 9 P 8 महुपर'. [८] १ प्रवाहः. २ शिथिलित-वस्त्राणाम्. [९] १ वालकावेरी. १ दधिमिः. ३ जलप्रवाहेण व्याकलीकृतचित्ता [१०] १ साटिका युका. १ उपरितनवलेण. 9.