पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३४३

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R$6 10 वुच्चइ सहसक्खें पञ्चेल्लिउ हुअवहु पउमचरित [०५,१-९,५,:- [४] तुम्हहुँ घई एक विणाहिँ तत्ति सुविणएँ विण हुय उच्छाह-सत्ति ॥१ वालत्तणे जे णउ णिहउ सत्तु ह-मेतु जि कियउ कुढार-मेत्तु ॥२ जइयहुँ णामउ छुडु छुडु दसासु जइयहुँ साहिउ विजर्जा-सहासु ॥ ३ • जइयहुँ करें लग्गउ चन्दहासु जइयहुँ मन्दोवरि दिण्ण तासु ॥४ जइयहुँ सुरसुन्दरु वद्ध कणउ जइयहुँ ओसारिउ समरें धणउ ॥ ५ जइयहुँ जगभूसणु धरिउ गाउ जइयहुँ परिहविउ कियन्त-राउ ॥ ६ जइयहुँ सु-तणूयरि गंउ हरेवि अण्णु वि रयणावलि करें धरेवि ॥७ तइयहुँ में णाहिँ जं" णिहउँ सत्तु तं एवहिँ वड्डारउ पयर्नु' ॥८ ॥ घत्ता॥ 'कि केसरि सिसु-करि वहइ । सुक्कउ 'पायउ सुहुँ डहई' ॥९ [५] पञ्चत्तर देवि गइन्द-गमणु पुणु दुफु सक्कु एकन्त-भवणु ॥१ जहिं भेउ ण भिन्दइ को वि लोउ जहिँ सुअ-सारियहुँ वि णाहिँ ढोउ ॥ २ तहिँ पइसेंवि पभणइ अमर-राउ 'रिउ दुजउ एवहिं को उवाउ ॥ ३ किं सामु भेउ किं 'उववयाणु किं दण्ड अवुझिय-परिपाणु ॥४ किं कम्मारम्भुववाय-मन्तु किं पुरिस-दव-संपत्ति-वन्तु ॥ ५ किं देस-काल-पविहाय-सार किं विणिवाइय-पडिहार-चारु ॥६ 0कि कज-सिद्धि पञ्चमउ मन्तु को सुन्दर सर्च-विसार-वन्तु' ॥७ तो भारदुवाएं वुत्तु एम 'जं पइँ पारद्धउ तं जि देव ॥८ कजन्ते णवर णिबडइ छेउ पर मन्तिहिँ केवल मन्त-भेउ' ॥९ तं णिसुणेवि भणइ विसालचक्खु 'एहु पइँ उग्गाहिउ कवणु पक्खु ॥१० ॥ घत्ता॥ ता अच्छउ सुरवइ जो णीसेसु रज्जु करइ। पहु मन्ति-विहूणउ चउरणिहि मिण संचरइ ॥११ 4. 15 A तुझह. 2 8 पह. 3 P एकु, कु. 4 PS णाइ. 5 A सुइणे. 6 A जि. 7PS वि. 8 A विजहं. 9 P भवहरेवि. 10 s जिं. 11 Ps णिहिउ. 12 A पउत्तु. 13 करे घरह. 14 Ps सुहि, A सुहूं. 5. 1 एयंत. 2 s साउ. 3 PS उपपयाण, 4 उवयदाणु. 4 Ps परिपयाणु. 5 Ps 'रंभोवायचतु. 6 A °वारु. 7 8 के. 8 s सम्पु. 9 - भाररवाएं. 10 Ps कर्जतगमणे. 117 SP records also a variant पहु. 12 A चरंगेहिं वि संवरह. [४] १ नख-कर्तनीयोऽपि यदासीत् तत् कुठारछेयं संजातम्. २ प्रयत्नम्. ३ समर्थः (१). पक्षा [५] १ उपप्रदानं दण्डम्. २ अनन्तर-प्रतिपादिता. ३ मत्रिणा. 18