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पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३४५

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$ पडमचरित [061-५९,1-1. [] तं मन्ति ववधु पडिवण्णु तेग चित्तर कोकिन सक्खण ॥१ सिक्लवइ पुरन्दर किं पि जाम मउ णारउ रावण-भवणु ताम ॥२ 'भोसारेंवि दिजइ कण्ण-जाउ परिरक्खहि खन्धावारु 'साउ ॥ मावेसह इन्दहों तणउ दूर चउवीस-पवर-गुण-सार-भूउ ॥४ सो भेज करेसइ णरवराह सुग्गीव-पमुह-विजाहराहँ ॥५ सहुँ तेण महुर-बयणेहिं तेव वोल्लिजइ सन्धि ण होइ जेव ॥ ६ सो थोवर तुहुँ पुणु पवलु अजु आवग्गउ में लइ हरेवि रज्जु ॥७ एत्थु अवसरें संगीमें संकु सङ्किजइ गंतो पुणु असा ॥८ ॥ पत्ता॥ मरु-जग्गै दसाणण जं पइँ विग्घहँ रक्खियउ। उवयारहों तहाँ मई परम-भेउ ऍहु अक्खिय' ॥९ [९] गउ णारउ कहि मि णहङ्गणेण सेणावइ वुत्तु दसाणणेण ॥ १ " 'पर-गूढपुरिस ण विसन्ति जेम परिरक्खहि खन्धावारु तेम ॥ २ एतडिय परोप्पर वोल्ल जाव चित्तङ्गु स-सन्दणु आउ ताव ॥ ३ पुर-रद्वाडवि' बहु संथवन्तु णक्खन्तोमालियहन्ति-वन्तु (?)॥४ रण-दुग्ग-परिग्गह-महि णियन्तु उत्तरहों पडुत्तर चिन्तवन्तु ॥५ वहुसंथ-वुद्धि-णीइउ सरन्तु मारिच्चि-भवणु पइसइ तुरन्तु ॥६ स-सणेहुँ समाइच्छिउ करेवि णिउ पासु णरिन्दहों करें धरेवि ॥ ७ वइसणउ दिण्णु 'संवाहुँ थोर चूडामणि कण्ठउ कडउँ दोर ॥८ पुजेप्पिणु कैप्पिण गुण-सया पुणु पुच्छिउ 'वलहु पमाणु का.॥९ ॥ धत्ता॥ बुच्चा चित्तङ्गेण 'किं देवहों सीसइ गरेण ॥ तं कवणु दुलईड जंण वि दिहु दिवायरेंण' ॥ १० 14 सावु. 2 A वयण. 3 PB A वोलिजह. 4 PS थोडउ. 5 PS दि. 6 PS संगाम. 7. A सकिजइ. 8 Ps विप्पहु. 9. 14 पुरपरवहारि. 2 P पहु, marginally records बहु. 3 - संछवंद; margi- nally records संथवंत, A °सस्थवंतु. 4 7 °तिवंद. 54 दुग्गयरिंभहं. 6 °भवणि, A भवण. 7 5 सासणहु. 8 A पासे. 9 Ps संवाद. 10 P कणउ. 11 PS डोरु. 12 A मप्पि- शु. 13 A चित्तंगे. 14 A देवहुं. 15 A दुलंधु. [८] सर्वम्. २ समर्थः. १ बहुविचार-घुद्धिः, २ ताम्बूलः. ३ कथयित्वा. 28 8. };