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पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३४८

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6 सण्णहवि पुरन्दर ०१४,१-९,१५,१-९] सोलहमो संधि [१४] गउ एम भगेंवि चित्तङ्गु तेत्यु सुर-परिमिउ सुरवर-राउ जेत्थु॥१: 'परमेसर दुजउ 'जाउहाणु ण करेइ सन्धि तुम्हेंहिँ समाणु ॥२ तं णिसुणेवि पवलु अराइ-पक्खु सण्णज्झइ सरहसु दससयक्खु ॥ ३ हय भेरि-तूर पडु पउह वैज. किय मत्त महागय सारि-सज्ज ॥४ पक्खरिय तुरङ्गम' जुत्त सयड जस-लुद्ध कुद्ध सण्णद्ध सुहड ।। ५ वीसावसु वसु 'रण-भर-समत्थ जम-ससि-कुवेर पहरण-विहत्थ ॥ ६ किंपुरिस गरुड गन्धव जक्ख किण्णर णर अमर विरल्लियक्खं ॥७ जंणयर-पओलिहिँ वलु ण माइ तं णहयलेणं उप्पऍवि जाइ ॥८ ॥ घत्ता॥ णिग्गउ अइरावऍ चडिउ । णं विझहाँ उप्परि सरय-महाघणु पायडिउँ॥९ [१५] मिग-मन्द-भद्दे-संकिण्ण-गऍहिँ घड विरऍवि पञ्चहिँ चाव-सऍहि ॥१ थिउ अग्गएँ पच्छऍ भड-समूह सेणावइ-मन्तिहिँ रइउ वूहु ॥२ सुरवर स-पवर-पहरण-कराल घण-कक्खहिँ पक्खहि लोयवाल ॥३ डसियाहर रत्तुप्पल-दलक्ख गएँ गएँ पण्णारह गत्त-रक्ख ॥ ४ हयं पञ्च पञ्च चश्चल वलग्गै भड तिण्णि तिण्णि हऍ हऍस-खग्ग ।। ५ ऍउ जेत्तिउ रक्खणु गयवरार्स तेत्तिउ में पुणु वि थिउ रहवरासु ॥६ चउदह अॉलिहिँ गरो णरासु 'रयणिहिँ तिहिँ तिहिँ हउ हयवरासु ॥७॥ पञ्चहिँ पञ्चहिँ गउ गयवरासु धाणुकिउ छहिँ धाणुकियासु ॥ ८ ॥ धत्ता॥ ते वूहु रएप्पिणु भीसणु तूर-वमालु कि । समरङ्गणे मेइणि सकु से ई भू सेवि थिउ ॥९ 18 .. 14. 1 सज.2P S तुरिय संजुत्त. 3 P रणयरह मस्थ, सुरणरभरसमस्थ, A रणस- यसमस्थ. 4 A विरित्तियक्ख. 5A जं. 6 णहयले णं. 7 Pउप्पयवि, 5 उप्पहि वि.8s पय- fr. 9.'s wrongly numbers this Kadavaka as li gull 15. 14 भग. 2 A पच्छह मग्गइ. 3 सम्बई. 4 P हए. 58 लग्ग. 6 इयर- रासु. 7 बंगुलेहिं. 8 s धाशुक्किमओ.9s वि. 10 s जं. 11s सयं. [१४] १ रावणः. २ अंबारी. [१५] १ हस्तैः त्रिभिः.