पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३५७

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1 १४ पउमचरिउ [.१४,०-९,१५,1-103,1-1 धाइउ धगधगन्तु धूमन्तउ चिन्हं छत्त-धऍहिँ लग्गन्तउ ॥७ रावण-चलु णासंघिय-जीवित णासइ जाला-मालालीविउ ॥ ॥ घत्ता ॥ रयणियर-पहाणे वारुण-वाणे सरवरग्गि उल्हावियउ। मसि-चण्णुपरत्तउ धूमल-गत्तउ पिसुणु जेम वोल्लावियउ॥९ [१५] उवसमिए हुआसणे वयण-भासुरेणं । वहल-तमोह-पहरणं पेसियं सुरेणं ॥१ किउ अन्धारउ तेण रणगणु किं पि ण देखैइ णिसियर-साहणु ॥२ ॥ जिम्भइ अङ्गु वलइ णिहायइ सुअइ अचेयf 'ओसुविणायइ ॥३ पेक्खेंवि णिय-वलु 'ओणल्लन्तउ मेलिउ दिणयरत्थु पजलन्तउ ॥ ४ अमराहिवेंण राहु-वर-पहरणु णाग-पास सर मुअइ दसाणणु ॥५ पवर-भुअङ्ग-सहीसहिँ दट्ठउ सुर-चंलु पाण लएवि पणट्ठउ ॥६ गारुडत्थु वासवेण विसज्जित विसहर-सरवर-जालु परजिउ ॥७ ॥ खगउड-पवणन्दोलिय मेइणि डोला-रूढी णं वर-कामिणी ॥८ पक्ख-पवण-पडिपहय-महीहर णच्चाविय सं-दिसिवह स-सायर ॥९ ॥ घत्ता ॥ मेल्लेंवि रिउ-घायणु सरु णारायणु तिजंगविहूसणे गएँ चडिउ । तेत्तहें रावणु जाऍवि इन्दहों अभिडिउ ॥१० [१६] मत्त गइन्द दोवि उभिण्ण-कसण-देहा । णं गजन्त धन्त सम-उत्थरन्तं मेहा ॥१ परोवरस्स पत्तया मयम्वु-सित्त-गत्तया ॥२ थिरोर थोर-कन्धरा पलोट्ट-दाण-णिज्झरा ॥३ स-सीयर व पाउसा मयन्ध मुक्क-अङ्कुसा ॥४ 5PS धूमदउ, 6 चिंधई, 8 चिंधइ. 7PS णासंघिउ, 8 P उल्हाविउ, 3 उपहाविउ, A उहावियउ.9 PS परंतउ. 15. `1 s reads gas in the beginning of the stanza. 2 P S ante. 3A पेक्खाह. 4 Ps णिचेयणु. 5A °वास. 6 P9 °सहासें. 7 8 खगउहु. 8 PS दस दिसि- वह सायर.9 तिजय. 16. 1 A होषि. 2 PS समुस्थरंत. 3 P परोवरस्स मत्तया corrected to परोवरपम. तया, मत्तया. [१४] १ विध्यापितः. [१५] १ प्रभातें (?). २ प्रकट (?). जेत्तहें अइरावणु 25