पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३५९

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पउमचरित [2016-10-0 तं णिसुणेवि भणइ सुर-धन्धणु 'तुम्ह वि अम्ह वि एउ णिवन्धणु ॥३ जमु तलवरु परिपालउ पट्टणु पङ्गण णिकिउं करउ पहजणु ॥४ पुष्फ-पयरु 'घर देउ वणासह सहुँ गन्धबेहिं गायउ सरसइ ॥५ वत्य-सहासइँ हवि पक्खालउ कोसु असेसु कुवेरु णिहालउ ॥६ • जोण्ह करेउ मियड णिरन्तर सीयलु णहयले तवउ दिवायरु ॥७ अमरराउ मज्जणउ भरावउ अण्णु वि धणेहिँ छडउ देवावडे ॥८ तं पडिवण्णु सव्वु सहसारें मुकु सकु लङ्कालङ्कारें ॥९ ॥ धत्ता ॥ णिय-रज्जु विवजेंवि गउ पव्वजेवि सासयपुरहों सहसणयणु। " जय-सिरि-वहु मण्डेंवि थिउ अवरुण्डेंवि सं (भुय-फैलिहिँ दहवयणु॥१० इय चारु-पउमचरिए धणञ्जयासिय-सयम्भुएव-कए । जाणह 'रावण विजयं सत्तारहम इमं पव्वं ॥

18 [१८. अट्ठारहमो संधि] रणे माणु मलेवि पुरन्दरहों परियश्चेवि सिहर, मन्दरहों। आवई वि पडीवउ जाम पहु ताणन्तरे दिहु अणन्तरहु॥ [१] पेक्खेप्पिणु गिरि-कञ्चण-सुभडे जिण-वन्दण-दूरुच्छलिय-स? ॥१ सुरवर-सय-सेव-करावणेण मारिच्चि पपुच्छिउ रावणेण ॥ २ 'भड-भञ्जण भुवणुच्छलिय-णाम उहु कलयलु सुम्मइ काइँ माम' ॥३ तं णिसुणेवि पभणइ समर-धीरु 'एहु जइ णामेण अणन्तवीरु ॥४ दसरह-भायरु अणरण्ण-जाउ सहसयर-सणेहें तवसि जाउ ॥५ उप्पण्णउ एयहाँ एत्थु णाणु उहुं दीसइ देवागमु स-जाणु' ॥६ तं वयणु सुणेप्पिणु णिसियरिन्दु गउ तेत्तहें जेत्तहें मुणिवरिन्दु ॥७ परियञ्चवि णवेंवि थुणेवि णिविगु सयलु वि जणु वयइँ लयन्तु दिड्डु ॥ ८ 4 णिकर. 5 Ps पुरे. 6 Ps गंध, A गंधविहि.74 मयंकु. 8 4 मि. 9P सयं. 10 P8 °वलेहि, A °फलिहिहिं. 11 P धणंजयासु, ७ घणंजयासि. 12P जहाण, जाउहाण. 1. 1 आवेदि. 16. P8 °सुहाउ, 2 Ps °णाउ. 3 A मारीह. 4 A सुब्वइ. 52s बीर. 6 PS उहु.78 एहु. [१] १ अनन्तऋषिनामेदम्.