E पगुणवीसमो संधि पिरोण तेण सुपरिवेवि करणु अहिणाणु समलवेंवि ॥४ गउ परवइ सहुँ मित्तेण तहिं माणससरें दूसावासु जहिँ ॥५ गुरुहार इअ एतहें वि सइ कोकावेवि पभणइ केउमइ ॥६ 'ए काइँ कम्मु पई आयरिउ णिम्मलु महिन्द-कुलु धूसरिउ ।। दुबार-बहरि-विणिवाराहों मुहु मइलिउ सुअहों महाराहों। तं सुगवि वसंतमाल चवह 'सुविणे" वि कलकु ण संभवई ॥ ॥ घत्ता॥ इमैं करण इपरिहणेउ इ, कञ्चीदामु पहाणहों। ण तो का "वि परिक्स करें परिसुज्महुँ जेणं मझे जणहों' ॥१. [२] तं णिसुणेवि वेवन्ति समुट्ठिय अप्पुणु । वे वि ताउ कसघाएँहिँ हयउ पुण्प्पुणु ॥१ 'किं जारहों णाहिँ सुवण्णु घरे में कडउ घडावेवि छुहइ करें ॥२ अण्णु वि एत्तिउ सोहग्गु कउ में कङ्कणु देइ कुमारु तउ' ॥३ कडुअक्खर-पहर-भयाउरउ संजायउ वे विणिरुत्तरउ ॥४ हकारेंवि पभणिउ कूर-भड 'हय जोत्तें महारह-वीटें चडु ॥५ एयउ दुहउ अवलक्खणउ ससि-धवलामल-कुल-लञ्छणउ ॥ ६ माहिन्दपुरहों दूरन्तरण परिषिवि आउ सहुँ रहवरेण ॥ ७ जिह मुअहुँ ण आवइ वत्त महु' तं णिसुर्णेवि सन्दणु जुत्तु लहु ॥ गउ वे वि चडावेवि णवर तहिं सामिणि-केरउ आएसु जहि ॥९ ॥ पत्ता ॥ णयरहों दूरे वरन्तरण अञ्जण रुवन्ति ओआरिया । 'माएँ खमेजहि जामि हर सहुँ धाहऍ पुणु जोकारिया ॥ १० 18 20 io परिच्छिवेदि. 11 A समुडविवि. 12 Ps पणिय, A पभणइं. 13 संचरिर. THE णिसुणेवि. 15 PS सिविणए. 16 P S एउ. 17 PS परिहाण, परिणलं. 182Sपि. 19 P 8 जेम. 2. अपणु. 22 पुणु वि पुणु. 3 PSA कारिवि. 4 Pमहारहे.5 म.6 परिधिविवि.7 विवि.8PS दूरवंतरेण. 9A मंति. ५ पांडोच्च..(ब)म. पर.परि.20
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