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पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३७६

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401,४-९१२, १-९,३,१-२] वीसमो संधि पल्हायहाँ पडिदिणयर-पर्वणहुँ जाणेवि समरु वरुण-दहवयणहुँ ॥४ मारुइ सयण-जयासाउरेंहिँ वुच्चइ पवणञ्जय-पडिसूरेंहि ॥५ 'वच्छ वच्छ परिपालहि मेइणि माणहि राय-लच्छि जिह कामिणि ॥६ अम्हेंहिं रावण-आण करेवी पर-चल-जय-सिरि-बहुअ हरेवी' ॥७ तं णिसुणेवि अरि-गिरि-सोदामणि चलण णवेप्पिणु पभणइ पावणि ॥८ 's ॥ घत्ता ॥ पावन्ति वसुन्धर 'किं तुम्हें विरुज्झहों अप्पुणु जुज्झहों मइँ हणुवन्ते हुन्तऍण । चन्द-दिवायर किंकिरणोहें सन्तऍण' ॥९ [२] भइ समीरणु 'जयसिरि-लाहउ अर्जु वि पुत्त ण पेक्खिउ आहउ ॥१ अर्जु वि वालु केम तुहुँ जुन्झहि अर्जु वि वूह-भेउ णउ वुझहि' ॥२ तं णिसुणेवि कुविउ 'पवणञ्जइ 'वालु कुम्भि कि विडंवि ण भञ्जइ ॥ ३ वालु सीहु किं करि ण विहाडइ किं वालग्गि ण डहइ महाडइ ॥४ वालयन्दु किं जणे ण मुणिजइ वाल भडारउ किं ण थुणिज्जइ ॥ ५ वालु भुवङ्ग, काइँ ण डङ्कइ वाल-रविहें तमोहु किं थक्कई॥६ एम भणेवि 'पहञ्जणि-राण लङ्काणयरिहें दिण्णु पयाणउ ॥ ७ दहि-अक्खय-जल-मङ्गाल-कैलसहिँ णड-कइ-वन्दि-विप्प-णिग्योसहिँ ॥ 13 ॥ घत्ता ॥ हणुवन्तु स-साहणु परिओसिय-मणु एन्तुं दिडु लकेसरेण । छण-दिवसे वलन्तउ किरण-फुरन्तउ तरुण-तरणि णं ससहरण ॥ ९ 20 दूरहों 'जें तइलोक-भयावणु सिरु णावेवि जोकारिउ रावणु ॥१ तेण वि सरहसेण सबङ्गि एन्तउ सामीरणि आलिजिउ ॥२ 3 A पाहाबडं पडिदिगयरतणयहुं. 4 P पवणहु, 5 तवणहु. 5A बोल्लइ. 6 P तुम्ह, s तुम्हे हिं, Agfag. 7 The whole portion following aftę wanting in A. 8 Pagstä, s हणुवते, A wanting. 2. 1 The first two lines are wanting in A. 2 8 . 3 P S 8.4 A बिडव. 58 वालइंदु. 6s A भुयंगमु. 7s पहंजणे, A पहंजणु. 8 P SA राणउं. 9 P SA पयाणउं. 10 A जय. 11 4 °सेसहिं. 12 P विप corrected to विंद, s जिंद. 13 किरण. 3. 1 Pet. ३ विद्युत्. [२] १ हनूमन्त. २ वृक्षम्. ३ हनूमन्तम्, ४ भागच्छतु.