पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३८१

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3 पउमचरित [.",५-९, १२, १२ 'धणय-कियन्त-सक में वकिय सहसकिरण-णलकुघर वसिकिय ॥७ तासु भिडइ जो सो जि अयाणउ अजहों लग्गवि तुहुँ महु राणउ ॥८ ॥ धत्ता। अण्णु वि ससि-वयणी कुवलय-णयणी महु सुय णामें सञ्चवइ । करि ताऍ समाणउ पाणिग्गहणउ विजाहर-भुवणाहिवई' ॥९ [१२] कुसुमाउहकमला बृह-णयणे परिणिय वरुण-धीय दहवयणें ॥१ पुप्फ-विमाणे चडिउ आणन्दे दिण्णु पयाणउ जयजय-सवें ॥२ चलियइँ णाणा-जाण-विमाणइँ रयण सत्त णवैद्ध-णिहाणइँ॥ ३ अट्ठारह सहास वर-दारहुँ अद्धछट्ठ-कोडीउ कुमारहुँ ॥४ णव अक्खोहणीउ वर-तूरहुँ (णरवर-अक्खोहंणिउ सहासुहुँ॥५ अक्खोहणि णरवर-गय-तुरयहुँ) अक्खोहणि-सहासु चउ-सूरहुँ ॥ ६ लङ्क पइडे सुदु परिओसें मङ्गल-धवलुच्छाह-पघोसें ॥७ पुजिउ पवण-पुत्तु दहगीवें दिजइ पेउमराय सुग्गीवें ॥८ ॥ खरण अणङ्गकुसुम वय-पालिणि णल-णीलेहिँ धीय सिरिमालिणि ॥९ अट्ठ सहास एम परिणेप्पिणु गउ णिय-णयह पसाउ भणेप्पिणु ॥ १० सम्वु कुमार वि गउ वणवासहों खग्गहों कारणे दिणयरहासहों ॥ ११ ॥ घत्ता ॥ सुग्गीवङ्गड्गय णल-णील वि गय खर-दूसण वि कियस्थ-किय । विजाहर-कीलऍ णिय-णिय-लीलऍ पुरइँ स ई भु अन्त थिय ॥ १२ इय 'विजाहर कण्ड' वीसहिँ आसासएहिँ मे सिटुं। एहि 'उज्झाकण्ड' साहिज्जन्तं णिसामेह ॥ धुंवरायवत इयल अप्पणत्ति णत्ती सुयाणुपाढेण (१)। णामेण सामिअव्वा सयम्भु घरिणी महासत्ता ॥ तीए लिहावियमिणं वीसहिँ आसासएहिं पडिवद्धं । 'सिरि-विजाहर-कण्डं' कण्डं पिव कामएक्स्स ॥ ॥ पढमं विजाहरकण्डं समत्तं ॥ 8P8° 9 P रणि जे जिय, s रणि जं जिय. 10 A भुमण. 1 डिवि. 2 Ps णिव. 3 PS कुमारहो, A कुमारहु. 4 Ps दरहु, पुरहुं. 5 P S अक्लोहणिहु. 6 wanting in A. 7 Ps पह. 8s कि. 9 P एहिमउज्माकंडं. 10 धुप written above the line in adifferent hand and then रायधोवत. इयलुअप, थुमरायधोयतालुअपत्तिणतीसुभाणुपादेग. 11 P सामिमग्य. 12 महासत्त. 3 PA wanting [१२] १ कामलक्ष्मी वरुणपुत्री. २ पण्डितलोचनेन रावणेन. ३ अन्तःपुरी १८.... ४मारा: ५पनराग-सुता. ६ संधीसु. ७ हनूवंतस्य (१). 26 12.