पृष्ठ:पउमचरिउ.djvu/३८०

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13 क०९,७-९,१०,१-९-६] वीसमोसंधि एम भणेवि महाहवें वरुणहाँ गंहकल्लोलु भिडिउ णं अरुणहों॥७ तहिं अवसरे पवणञ्जय-सारें आयावि हणुवन्त-कुमारें ॥८ ॥ घत्ता ॥ गरवर-सिर-सूलें णिय-लङ्गले वेढेंवि धरिय कुमार किह । कम्पावण-सीलें पवणावीले तिहुवर्ण-कोडि-पएसु जिह ॥ ९ [१०] णिय-णन्दण-वन्धणेण स-करुणहाँ पहरणु हत्थे ण लग्गइ वरुणहों ॥१ रावणेण उप्पऍवि णहङ्गण इन्दु जेम तिह धरिउ रणङ्गणें ॥२ कलयलु घुड्डु हयइँ जय-तूर. जलणिहि-सद्द सद्द-गय-दूर ॥ ३ ताव भाणुकण्णेण स-णेउरु आणिउ णिरवसेसु अन्तेउरु ॥ ४ रसणा-हार-दाम-गुप्पन्तउ गलिय-घुसिण-कद्दमें खुप्पन्तउ ॥५ अलि-झङ्कार-पमुहलिजन्तर णिय-भत्तार-विओअ-किलन्तउ ॥६ अंसु-जलेण धरिणि सिञ्चन्तउ कजल-मलेण वयइँ मइलन्तउ॥७ तं पेक्खेंवि गोल्लिय-गत्ते गरहिउ कुम्भयण्णु दहवत्तें ॥८ ॥ घत्ता॥ 'कोमिणि-कमल-वणइँ सुअ-लय-भवणइँ महुँअरि-कोइल-अलिउलइँ। एयइँ सुपसिद्ध पालिज्जन्ति अणाउलइँ॥९ [११] तं णिसुणेवि स-डोरु स-णेउरु रविकण्णेण मुकु अन्तेउरु ॥ १ गउ णिय-णयह मडप्फर-मुक्कउ करिणि-जूहु णं वारिहें चुका ॥२ कोकावेप्पिणु वरुणु दसासें पुजिउ सुर-जय-लच्छि-णिवासें ॥३ 'अवलय में तुहुँ करहि सरीरहों मरणु गहणु जउ सबहाँ वीरहों ॥४ णवर पलायणेण लज्जिजइ जे मुहूं णामु गोत्तु मइलिज्जई' ॥ ५ दहवयणहों वयणेहिँ स-करुणें चलण णवेप्पिणु वुच्चइ वरुणें ॥ ६ 4हणुअंत', हणुवंतु. 5A तिहुमणे. 10. 14 °सूरई. 2 ' मणोबरु corrected to मणोठरु. 3 PS मलिण. 4 P पपई corrected to वयई, भयइ. 5A महुभर. 11. 1PS मडप्फरु. 2 वारिहें, ७ वारिहि, A वारिहिं. 3 PS जयसिरिलच्छि.4A 5 P 8 मंत करेहिं. 6 Ps महु गोतु णाउ. 7 A वयणेण. २ राहु. ३ सूर्य-सारथिना सह. [१०] १ वदनानि. २ तं अन्तःपुरम्. ३ कामिन्यः कमलवनानि शुका लतागृहाणि चेत्यादीनि सर्वाणि प्रत्येक कामचिहानि. ४ अनुकूलभूतानि खस्थानि. [११] १ कुम्भकर्णेन. २ गायाः सकाशात्. ३ चित्तखेदं मा कार्षीः. वम्मह-चिन्ध. 26 अवस्ट