INTRODUCTION 33 २१. मुक्खा-मारें। २८२ २१. भुक्खा-मारहु ! २२. पुण्णाउस कोक्किय णीलजण ।२९५ २२. पुण्णाउस णीलंजस णडइ। ६ ४ ११ २३. तं जि हुउ वडरायहीं कारण। २ १० ३ २३. ता होइ विरायहु कारणउँ। ६ ४ १२ २४. चारु देव जं सई उम्मोहिउ । २ १०४ २४. चारु चार जं सई पडिबुद्धउ। ७ १९१४ २५. उवहिहिं णव-णव-कोडाकोडिउ, २५. सर-णिहि-समाहे पयडियउ, णठउ घम्मु सत्थु परिवाडिउ । अट्ठारह कोडाकोडियउ॥ णट्ठई दंसण-णाण-चरित्तई, णट्ठाई धम्म-कम्मन्तरई, दाण-झाण-संजम-सम्मत्तई। दंसण-णाणई चरिय वरई ।। पञ्च महव्यय पञ्चाणुव्वय, आयारई पञ्च महव्वयई, तिण्णि गुणव्वय चउ सिक्खावय ॥ अणुवय-गुणवय-सिक्खावयई ॥ २१० ५-७ २६. घोर-वीर-तव-चरणे। २ १२ ५ ०६. घोर-वीर-तव-चरणे 1 ७ १४ ११ २७. हो हो केण दिठ्ठ परमप्पउ। २१२६ २७. पर-लोय-कहाणी केण दिछ । ८३ ११ २८. जल म डोहहाँ फलई म तोडहों। २८. मा लुणह तरुं मा धुणह मरूं । ८४२७-२९ २९. अण्णहुँ देसु विहजै वि दिण्णउ, २९. णिय-गुयह विहजिवि पुहइ देव, अम्हहु कि पह णिहाखिण्णउ ॥ २ १४२ दिण्णी, अम्हहुँ दिण्णउण किंपि ॥८५११-१२ ३०. तहि अवसरे, ३०. एत्तहि महि-विहरन्तु जिणेसरु। ९ १२३ महि-विहरन्तहो तिहुअण-णाहहों ।। २ १६ १ ३१. 'थाहु' भणन्तु । २ १६ ११ ३१. ठाह (ठाहु) भणिवि ९८७ ठा भणिउ। ९९९ ३२. अक्खय-दाणु भणेवि सेयंसहों, ३२. अक्खय-दाण भणिउँ परमेमें, अक्खय-तड्य गाउँ किउ दिवसही ॥ २ १७ ८ वहु दिवसहु अत्येण समायउ, अम्बय-तइय गाउँ संजायउ॥ ९११८-१ ३३. अइपमण्ण-मुहयन्दहों। ३ २ ११ ३३. अइपमण्ण-मुह । ९५ १३ ३४. दह घय पउम-मोर-पञ्चाणण, ३८. दह भय, गगड-मराल वसह-बरवारण। माला-वत्थ-मोर-कमलडकहि, एक्केक्कएँ धएँ अहिणव-छायहुँ. हंस-पगड-हरि-विस-करि-चक्कहि। मउ अट्ठोत्तर चित्त-पडायहुँ । ३ ४ ५-७ भूसिय-पडिधय-पह-पइरिश्कहु अट्टोत्तर-सउ मउ एक्केक्कहु ९ २४ १०-१२ ३५. तं सममरणु परिडिउ जावहि, ३५. एम देव संचल्लिय जावहिं, अमर-राउ संचलिउ ताहि ॥ ३ ८ ८ धणएं ममवसरण किउ तावहिं ।। ९ २०१४ अमर-गउ संचल्लिउ जावे हिं, धणएं किउ कञ्चणमउ दावे हिं, पट्टणु।। २ २ १-२ ३६. परिवढिउ। ३ ६१ ३६. पग्यि ढिओ। ९ १७ १३ ३७ वीयउ मन्दर णा समुठिउ । ३ ६ ३१ णं आयउ वीयउ मन्दरु। ९१७ १६ ३८. ताव विजिग्गय दिव्व झुणि। ३ ११ १ ३८. ता जिग्गन्त-धीर-दिव्व-झुणि । १०९१ ३९. जो जं मग्गइ तं तहों देह। ३ १२५ ३९. जो चं मग्गइ सं तासु दिण्ण। ४ १९ १२ ४०. सलिहिं वरिस-सहासहि, ४०. उज्झहि भरहाहिउ पइसरद, भरहु अउज्झ पईसरह। सठिहि बरिस-सहासहि ॥ णव-णिसियर-धारउ, पउ पडसरइ पुरवरे। १६ १ १ चक्करयणु ण पईसरइ॥ ४१ मिसिय-धारयं राहणो रहङ्गं । १६ २१- ४१. पइमरइ ण पट्टणे चक्करयणु, ४१. थक्कउ चक्कु ण पुरि परिसक्कड, जिह अवुहब्भन्तरें सुकइ-वयणु ॥४१२ कइहि कन्छ व णउ चिम्मक्कइ ।। १६ २३
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