पृष्ठ:पदुमावति.djvu/४४४

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३३८ पदुमावति । १५ । सात-समुदर-खंड । [१५४ राजदू 1 राजा ने । कटक = सेना । बीरा = बीटक = पान का बीडा = चलने के लिये एक प्रकार का सङ्कत । जैसे राज-कार्य के लिये अब आज्ञा-पत्र निकलते हैं, तैसे-ही प्राचीन समय में बौडा बटता था । जब राजा लोग किमी कार्य के लिये योग्य पुरुष नहीं समझते थे, तब उस कार्य के लिये दर्बार में बौडा रख दिया जाता था, कि जो कोई अपने को दूस कार्य के योग्य समझे वह बोडे को उठा ले । जो बौडा उठा लेता था वही उस कार्य करने के लिये नियुक्त किया जाता था । भारत में जो युद्ध इत्यादि के लिये प्रधान समझा जाता था, उस का मङ्गलाशीर्वाद वाक्यों से वरण किया जाता था। यह रौति महाभारत से स्पष्ट है। रामाश्वमेध में अवश्य लिखा है, कि युद्ध-यात्रा के समय वीरों को वौटक (बौडा) दिया गया । आज कल बौडा शब्द बयाने के अर्थ में भी प्रचलित है। जैसे, रण्डौ को बौडा दिया गया है, अर्थात् रण्डी को बयाना दिया गया है। सु-पुरुख = सु-पुरुष = सत्पुरुष सत्य-प्रतिज्ञ । धौरा = धौर = धैर्य । ठाकुर = ठकुरः = मालिक = स्वामी । क=का। सूर = शूर = बहादुर । जउ लहि = जब तक । मती = पतिव्रता स्त्री, महादेव को पत्नी सती ऐसौ =जो अपने मृत-पति के साथ चिता में भस्म हो जाती है। जिउ = जीव । मत = सत्य-सङ्कल्प । बाँधा = बाँधद (बध्नाति) का भूत-काल में एक- वचन । तउ लहि तब तक। कहार = स्कन्धाधार = जो कन्धे से भार वा यान को ले चलता है। काँधा = स्कन्ध = कंधा। पेम-समुद = प्रेम-समुद्र = प्रेम-सागर = प्रेम का समुद्र। बेरा = बेडा

एक प्रकार की नाव। प्रद् = एते = ये । बूंद = विन्दु। हउँ

अहम् = हौँ = मैं । सरग = वर्ग इन्द्र-लोक। चाहउँ = चाहद् (चदति वा चहति वा इच्छति ) का उत्तम-पुरुष में एक-वचन । राजू =राज्य। नरक = पापियों के लिये यम-पुरौ में दुःख और पौडा के देने-वाले स्थान, ये ८४ हैं जो कि गरुड- पुराणादि मैं बहुत प्रसिद्ध हैं। सिते तें = से । काज= कार्य । दरसन = दर्शन । श्रानि = अानीय = आन कर = ले श्रा कर । पेम-पँथ प्रेम-पथ = प्रेम को राह । ले श्रावा ले श्राया। काठहि = काष्ठ को। काह = क्व हि = क्या । गाढ = कठिन । ढीला = लथ = शिथिल । बूड बूडद् (बुडति) बुडता है। मगर= मकर = एक भयङ्कर जल-जन्तु । लीला लोल (निगिलति) = लोलता है निगलता है ॥ गहि = श्राग्टह्य = गह कर = पकड कर । समुदर = समुद्र । धसि धर्षयित्वा = धन्च कर। लोन्हसि = लिया = लेद् (लाति) का भूत-काल में एक-वचन। सत्य - लावा =