सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:पदुमावति.djvu/६२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२३७] सुधाकर-चन्द्रिका। लाग- 1 जडा जाता है। होइ = होय = होवे (भवेत् )। सो = वह = सः । लागा लगता है (लगति)। हउँ = अहम् - मैं । ग = गई (गाम् )। मढ = मठ = देव-मन्दिर। मंडप = मण्डप = मन्दिरद्वार के बाहर की शाला। भोरी बौरही। तहवाँ = तहाँ = तत्र । तुइँ = त्वम् = हूँ। गाँठि= ग्रन्थि = गाँठ । गहि = ग्टहीत्वा = गह कर = पकड कर । जोरौ=जोरदू (जोटयति) का, प्रथम-पुरुष, भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन । गा= गया (अगात् )। बिसँभारि = वेसंभार (विसम्भार)। देखि कई = देख कर (दृष्ट्वा)। नना = नयन = आँख । सखिन्ह = सखी का बहु-वचन । लाज = लज्जा । का = किम् = क्या । बोलउँ = बोलू (वदानि)। बहूना = वचन । खेलहि = खेल के = खेलायाः । मिस = मिष = व्याज बहाना । मई = मैं । चंदन = चन्दन सुगन्ध द्रव्य । घाला घालदू (गारयति) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, पुंलिङ्ग का एक-वचन। मकु मैं ने कहा = कि । जागसि = जागे = जागद् (जागर्त्ति) का मध्यम-पुरुष, सम्भावना में पुंलिङ्ग का एक-वचन । तो तर्हि । देउ = देऊं (ददानि)। जदू-माला =जय-माला । तब = तदापि = तौ भौ। जागा= जागद् (जागर्ति) का प्रथम-पुरुष, भूत काल, पुंलिङ्ग का एक-वचन । गा= गया (अगात् )। यूँ = त्वम् । सोई = सोय शयित = शयन। जाग= जागने से (जागरणेन )। भैटि = भेंट = समवेत = समागम। मीत्र = सोने से (शयनेन)। होई = होद = होता वा होती है (भवति)। अब तउ = अब तो दूदानौं तु । मसि = शशी = चन्द्र। होदू = हो कर (भूत्वा)। चढउँ= चढी (उच्चलितास्मि )। अकामा = श्राकाश । जो = यः । जिउ = जीव । देद = दे = देवे ( दद्यात् ) । सो = वह । श्रावद् = आवे (आयात् ) । पासा = पार्श्व = पास । तब लगि = तब तक। भुगति = भुक्ति = भोजन । सकडू (शक्नोति) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, पुंलिङ्ग का एक-वचन । राोन = रावण = प्रसिद्ध लड्दा का राजा। मित्र सौता = प्रसिद्ध पतिव्रता, राम-पत्नी, जनक को कन्या। एक = एक । साथ = सार्थ । कउन = क नु = किस । भरोसद = भरोसे से (भराशया)। कहउँ- कहूँ (कथयेयम् ) । जीउ = जीव । पराए परस्य = दूसरे के। हाथ = हस्त ॥ फिर धन्या ( पद्मावती) ने मोने की पानी की स्याही, अर्थात् सोने की स्याही मांगी, उत्तर लिखती बेरा (प्रियतम के अनुराग मे, रोमाञ्च और पसीना आ जाने से ) देह की चोलित्रा भौंग गई। (लिखने लगी कि) उस सोने में मोहागा मिलना चाहिए यदि (वह सोना चाहे कि मैं ) निर्मल होऊ (तब) उस में नग लगा हो, सका