५१८ पदुमावती । २३ । राजा-गढ-छका-खंड । [२३६ दोहा। - समुद्र । धंसि - हम-हुँ अइसि हउँ तो सउँ सकसि त प्रौति निबाहु । बेधि अरजुन होइ जिति दुरपदी बिबाहु ॥ २३६ ॥ अहम् = मैं । पुनि = पुनः = फिर । अहउँ = हूँ (अस्मि )। अइसि = एतादृशी ऐसौ। तोहि = तेरे में। राती = रक्त = अनुरक। प्राधी = अर्ध। भैटि = भेंट समवेत = मुलाकात । पिरौतम = प्रियतम । पाती= पत्त्री = चिट्ठी। तोहि = तुझे। जउँ= यदि = जो। पौति प्रेम। निबाहदू = निर्वाह करना= निबाहना। बांटा आँट अटद् (समेति)। भवर भ्रमर = भौंरा। देखु = देख = देखता है (पश्यति ) । केत = केतक = केतकी = एक प्रसिद्ध पुष्य । मह = मध्ये = में । काँटा = कण्टक । होड़ होश्रो (भवथ ) । पतंग पतङ्ग = फतिंगा। अधर = अोठ । गहि = गह कर (ग्टहीत्वा) पकड कर। दौत्रा = दीप = चिराग। लेहु = लेत्रो (लाथ )। समुंद धंस कर (श्राध्वंस्य)। हो = हो कर (भूत्वा)। मरजोत्रा = मर कर जौने-वाला = गोताखोर = समुद्र में गोता लगाने-वाला। राति = रक्त = लाल । रंग = रङ्ग = वर्ण । जिमि = यथा = जैसे । दीपक = दीप दौथा। बातौ = वौ = बत्ती। नदून = नयन = आँख । लाउ = लगावो (लगय)। हो = हो कर (भूत्वा ) । सौप = शक्ति। मेवाती खाती = बर्षा को एक नक्षत्र । चातक = पपीहा = एक प्रसिद्ध पक्षी। पुकारु = पुकार (फुत्कारय)। पित्रासा = पिपामित = प्यासा। पौउ = पी (पिब)। पानि = पानी (पानीय)। क = की। श्रासा = आशा = उम्मीद। सारस = एक प्रसिद्ध जल-पक्षी । बिकुरि= बिछुड कर = विछुरित हो कर। जस = यथा = जैसे। जोरी= जोडौ = युगल। रनि = रजनी रात्रि । जल = पानौ । चकदू = चकई = चक्रवाकी= चकवा (चक्रवाक) को स्त्रौ। चकोरी= चकोर पक्षी की स्त्री। दिमिटि = दृष्टि । ममि = शशी = चन्द्र। पाँहा = पार्श्व = निकट । रबि रवि = सूर्य । कवल = कमल । श्रोहि माहा उस में । हम-हु = अहमपि = हम भी। असि = एतादृशी = ऐसौ। हउँ-हूँ (अस्मि ) । तो सउँ= तुझ से। सकसि = सकते हो (शक्नोसि)। त= तहि =तो। प्रीति = प्रेम । निबाहु = निबाह (निर्वाहय)। राहु = राइ (मर्प वा मत्स्य ) के आकार का लक्ष्य ( निशाना)। बेधि = बेध कर ( बिवा ) । अरजुन = अर्जुन = युधिष्ठिर के भाई, भारत के प्रसिद्ध योद्धा । जिति = जीत कर ( जित्वा)। दुरपदौ = द्रौपदी = युधिष्ठिरादि पांचो पाण्डवों को स्त्री । बित्रा = व्याह (विवाहय )। -
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