पृष्ठ:पदुमावति.djvu/६६७

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२५४] सुधाकर-चन्द्रिका। कोइ मुख अबॅिरित आनि निचोथा। जनु बिख दोन्ह अधिक धनि सोया॥ जोवहिँ साँस खनहिँ खन सखी। कब जिउ फिरइ पउन अउ पखौ ॥ बिरह काल होइ हिअइँ पईठा। जौउ काढि लेइ हाथ बईठा ॥ खन प्रक मूठि बाँध खन खोला। खनहिँ जौभ मुख जाइ न बोला ॥ खनहिँ बजर के बानन्ह मारा। कॅपि कॅपि नारि मरइ बिकरारा ॥ दोहा। कइसेहु बिरह न छाडइ भा ससि गहन गिरास । नखत चहूँ दिसि रोअहिँ अँधिअर धरति अकास ॥ २५४ ॥ =जल पवन = कोइ = कोई = कापि । कुमोद = कुमुदिनौ = कोई । कर = हाथ । परसहि = स्पृशन्ति = परसती हैं = कूती हैं । पाया पाद = पैर। मलयागिरि = मलयगिरि का चन्दन। छिडकहिँ = पोकन्ते = छिडकती हैं। मुख = मुंह । मौतल = शीतल = ठंढा । नौर पानी । चावहिँ = च्योतयन्ति = चुत्राती हैं। अंचल अञ्चल = आँचर। सउँ= माँ = से । पउन हवा । डोलावहि = दोलयन्ति = चलाती है। अबिरित = अमृत । श्रानि = श्रानीय = श्रान कर । निचोत्रा = निचो= निचोती हैं = नियोत- यन्ति = गारती हैं। जनु जाने जान पडता है। बिख = विष = जहर। दोन्ह = दिया अदात् । अधिक ज्यादा = और भौ। धनि धन्या (पद्मावती)। मोत्रा = मोअद (स्वपिति) का भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग, एक-वचन, सोई के स्थान में अनुप्रास मिलाने के लिये सोत्रा किया गया। जोवहि = जोवदू (जेहते) का बहु-वचन, जोहती हैं देखती हैं वा द्युत दीप्तौ से संद्योतयति का बहु-वचन । साँस श्वास । खनहिँ खन = क्षणे क्षणे = क्षण क्षण पर । सखौ = सहेली। कब = कदा। जिउ = जीव = प्राण । फिर = परिवर्तयति = फिरता है। अउ = अपि च । पँखौ = पची। बिरह = विरह = प्रियवियोग । मारने-वाला म-दूत । होइ = होद् = भूत्वा = हो कर। हिअर्दू = हृदय में पईठा = पठा = पैठा = पठद् (प्रविशति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, एक-वचन । काढि = कर्षयित्वा = खौंच कर निकाल कर। लेद = लेद = आलाय = ले कर। हाथ = हस्त । बईठा = बदठा =बैठा= बदठद (विशति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, एक-वचन । खन = क्षण। प्रक = एक। मुंठि = मुट्ठी = मुष्ठि । बाँध = बाँधद (बध्नाति) = वाँधता है काल = यम- - = -