पृष्ठ:पदुमावति.djvu/७०६

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५८८ पदुमावति । २५ । सूरौ-खंड । [२७२ अउ= वचन = भगवान का एक पौठ। - कालि = कालिय नाग जिम की कथा श्रीमद्भागवत दशमस्कन्ध में प्रसिद्ध है। जइँ = येन = जिस ने। नाथा = नाथद (नाथते ) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक- वचन । बरँभा= बरह्मा = ब्रह्मा सृष्टि के रचने-वाले त्रिदेव में एक देव। चतुर-मुख चतुर्मुख = जिसे चार मुंह हो। जासू = यस्य = जिस को । अपि= और। पातार पाताल । बलि राजा बलि । बासू = वासुकि-नाग पाठ नागों में एक प्रसिद्ध नाग। मेघ = पानी बरसाने-वाले बादल । डरहिँ = डरदू (दरति) का बहु- डरते हैं। बिजुरौ= विद्युत् -बिजली। जिन्ह = येषाम् = जिन को। डौठी = दृष्टि = आँख = नेत्र । कुरुम = कूर्म = कच्छप = पृथ्वी का श्राधार = अवतार। धरती धरित्री= भूमि । जेहि = यस्य जिस को। पौठी = पृष्ठ = मंदर = मन्दर = एक पहाड जिस से समुद्र मथा गया है। मेरू = मेरु = सोने का प्रसिद्ध पर्बत जिस पर देवता वास करते हैं। चंद = चन्द्र = चाँद। सुरुज =सूर्य । गगन = अाकाश । कुबेरू कुवेर = रावण का बड़ा भाई, धन का देवता। चहउँ दुच्छेयम् = चाहें। तो = तर्हि = तो । भंजउँ= भञ्जेयम् = नाश करूं = तोड डालूँ । गहि = ग्टहीत्वा ग्रहण कर = पकड कर । केसा= केश बाल । कौट कोडे, रेंगने- वाले। पतंग = कोडे, उड़ने-वाले। नरेमा = नरेश =राजा लोग ॥ बोला = बोल (वदति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । नरेस = नरेश = राजा। सुनु = श्टणु = सुन । गरब = गर्व = अभिमान । छाजा = छाज = छाजदू (सज्ज ते वा शोभते ) मोहता है = छाजता है। जौउँ =जौवे जीव में। कुंभकरन = कुम्भकर्ण = रावण का भाई। कद् = को। खोपडी = करोटौ = मस्तक के ऊपर का हिस्मा । बूडत = बूडने से = (ब्रुड धातु से ) डूबने से। बाँचा = बच गया। भौउँभौम युधिष्ठिर से छोटा और अर्जुन से बडा पाँचो पाण्डवों में एक प्रसिद्ध कुन्तौ का पुत्र (राजा गन्धर्व-सेन को) अाज्ञा हुई कि ( यह ) कौन अभागा भाट है जिस ने बाएँ हाथ से ( मुझे) श्राशीर्वाद दिया है। (और ) मेरे शहर में ऐसा कौन योगी है जो कि मैंध दे कर चोरी करने के लिये गढ पर चढता है। (मुझ से) इन्द्र डरता है, नित (मेरे सामने ) माथ झुकाता है। जिम कृष्ण ने कालिय नाग को नाथा है वह ( मुझ से ) डरता है। जिम ब्रह्मा को चार मुँह है वह ( मुझ से) डरता है, और पाताल में बलि और वासुकि नाग ( मुझ से ) डरते हैं। जिन को श्राखौँ में बिजली बमती है वे मेघ (भौ मुझ से) डरते हैं । जिम को पीठ पर धरती है