पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१०१

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Pada 6] Moral Preparation. ४३ (६) अनुवाद. जब से साधु की संगति पाई, तब से सब आप-पर- भाव मिट गया । न कोई वैरी, न कोई पराया रहा । सत्संगत से हमारी सब पूर्ति हो गई । साधु से यही सुमति पाई कि प्रभु ने जो किया, वह भला मानो । एकाकी प्रभु सब में रम रहा है। नानक उसे देख देख हँस रहा है ।