पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१०२

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४४ परमार्थ सोपान [Part I Ch. 2 7. LEAVE AWAY THY FATHER AND MOTHER AND FOLLOW ME. जाके प्रिय न राम - वैदेही ॥ दे ॥ तजिये ताहि कोटि वैरि सम जद्यपि परम सनेही तजेउ पिता प्रह्लाद, विभीपन बन्धु, भरत महतारी | बलि गुरु तजेउ नाह त्रज वनितन्ह ॥ १ ॥ भे जग - मंगलकारी ॥ २ ॥ नातो नेह राम के मनियत, सुहृद सुसेव्य तहाँ लौं । अंजन कहा आँखि जेहि फूटइ, बहुतक कहउँ कहाँ लौं ॥ ३॥ तुलसी सोह आपनो सकल विधि, पूज्य प्रान ते प्यारो । जासों होइ सनेह राम सों एतो मतो हमारो ॥ ४ ॥