पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१०४

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૪૬ परमार्थसोपान [ Part I Ch. 2 8. HAND OVER TO GOD, UNSULLIED, THIS FINE VESTURE WHICH HE HAS SO SKILLFULLY WOVEN. झीनी झीनी वीनी चदरिया ॥ टे ॥ काहे के ताना काहे के भरनी, कौन तार से यीनी चदरिया 112 11 इडा पिंगला ताना भरनी, सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥ २ ॥ आठ कँवल दल चरखा डोलै, पाँच तत्व गुन तीनी चदरिया ॥ ३ ॥ साँइ को सियत मास दस लागे, ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥४॥ . सो चादर सुर नर मुनि ओढ़ी, ओढ़ि के मैली कीनी चदरिया ॥ ५ ॥ दास कबीर जतन करि ओढ़ी, ज्यों की त्यों धर दीनी चहरिया ॥ ६ ॥