पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/११५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

Pada 12] Moral Preparation (१२) अनुवाद. वेद और पुराण पावन पर्वत हैं। राम की कथाएं उसमें अनेक सुन्दर खानें हैं । सजन मर्मी हैं । सुमति कुदारी है । है गरुड़, ज्ञान और वैराग्य दो नेत्र ह । जो प्राणी भाव से खोजता है, वह सब सुखों की मूल भक्तिरूपी मणि को पाता है । है गरुड़, वह (मणि) दिन रात परम प्रकाशरूप है । उस के लिये दीपक, घृत, बत्ती कुछ नहीं चाहिए, लोभ रूपी बात उसे बुझा नहीं सकता । ऐसी रामभक्ति रूपी सुन्दर चिन्तामणि जिसके हृदय में बसती है, मोह दरिद्र उस के निकट नहीं आता है । अविद्या का प्रवल तम मिट जाता है । सकल शलभ समुदाय हार जाते हैं । जिसके हृदय में भक्ति बसती है, कामादि खल उसके निकट नहीं आते हैं । गरल अमृत के सदृश और शत्रु मित्र हो जाता है । उस मणि के बिना कोई सुख नहीं पाता । ( Contd. on p. 59 ) ઘઉં