पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/११७

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Pada 12] Moral Preparation. ५९ (Contd. from p. 57) जिसके हृदय में रामभक्ति रूपी मणि बसती है, उसको स्वम में भी लेशमात्र दुःख नहीं होता । इस मणि के लिये जो सुयत्न करते हैं, संसार में वे ही चतुर - शिरोमणि हैं। यद्यपि यह मणि जग में प्रकट है, फिर भी राम कृपा के बिना कोई नहीं पाता ।