पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१२४

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૬૬ परमार्थसोपान [ Part I Ch. 2 16. SUPERNAL BHAKTI AS A DIAMOND चौपाई :- - दोहा:- चौपाई :- - WITH NINE FACETS. नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं । सावधान सुनु धरु मनमाँहीं ॥ प्रथम भगति सन्तन्ह कर संगा | दूसरि रति मम कथा प्रसंगा || गुरुपद - पंकज सेवा, तीसरि भगति अमान । चौथी भगति मम गुणगण करड़ कपट तजि गान | मन्त्र जाप मम दृढ़ विखासा । पंचम भजन सुवेद प्रकासा ॥ छँठ दम सील विरति बहु करमा । निरत निरंतर सज्जन धरमा ॥ सातवें सम मोहिमय जग देखा । मो ते सन्त अधिक करि लेखा || आठवँ जथा लाभ सन्तोषा । सपनेहुँ नहिं देखड़ परदोपा || नवम सरल सब सन छल हीना । मम भरोस हिय हरप न दीना ॥ नव मँह एकउ जिनके होई । नारि पुरुष सचराचर कोई ॥ सोइ अतिसय प्रिय सबरी मोरे । सकल प्रकार भगति दृढ़ तोरे ॥