पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१३२

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परमार्थसोपान [ Part I Ch. 3 4. INSCRUTABILITY OF THE REASONS FOR THE INCARNATION OF GOD. सुनु गिरिजा हरि चरित सुहाये विपुल विशद निगमागम गाये ॥ हरि अवतार हेतु जस होई इदमित्थं कहि जाइ न सोई ॥ राम अतर्क्य बुद्धि मन बानी मत हमार अस सुनहु सयानी ॥ तदपि सन्त मुनि वेद पुराना जस कछु कहहिं स्व-मति अनुमाना ॥ तस में सुमुखि सुनावउँ तोही समुझि पर जस कारन मोही || असुर मारि थापहिं सुरन्ह, राखहिं निजस्रुति सेतु । जग विस्तारहिं विपद जस, राम जनम कर हेतु ॥ - सोइ जस गाइ भगत भव तरहीं कृपासिन्धु जन हित तनु धरहीं ॥ राम जनम के हेतु अनेका परम विचित्र एक ते एका ॥