पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१३१

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Pada j] The Relation of God. (३) अनुवाद. वही सच्चिदानंद घन राम जन्मरहित, विज्ञानरूप, सब गुणों का आश्रय, व्यापक होते हुए व्याप्य, अविभाज्य, अन्त रहित, सब प्रकार की विफल न होने वाली शक्तियों से युक्त, भगवान, गुणातीत, महान, वाणी और इंद्रियों से परे, सर्वसाक्षी, अनिंद्य सब के परे, मल रहित, अविनाशी प्रभु हैं । ऐसे पुरुष में मोह या भूल का कोई कारण नहीं है । सूर्य के सामने अंधेरा कभी आ पावेगा ? भगवान प्रभु राम ने भक्तों के लिये भूपति का शरीर धारण कर सामान्य नर के समान परम पावन चरित्र किया । निर्गुणरूप तो अति सुलभ है । सगुणरूप को कोई नहीं जानता । प्रभु के सुगम, अगम, नानाप्रकार के चरित्रों को सुनकर मुनियों के मन में भी भ्रम होता है । ७३