पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१३६

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७८ परमार्थसोपान [ Part I Ch. 3 ( Contd. from p. 76 ) जोगिन्ह परम तत्व मय भासा सान्त सुद्ध सम सहज प्रकासा ॥ -हरि भगतन्ह देखे दोउ भ्राता इष्ट देव इव सब सुख दाता ॥ रामहिं चितव भाव जेहि सीया सो सनेहु मुख नहिं कथनीया || उर अनुभवति न कहि सक सोऊ कवन प्रकार कहइ कवि कोऊ ।