पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१३५

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Pada 5] The Relation of God. Ge (५) अनुवाद. । जिनकी जैसी भावना रही उन्होंने उसी प्रकार प्रभु की मूर्ति देखी। रणधीर भूपतियों ने देखा मानो वीर रस विग्रहवान होकर खड़ा है । कुटिल नृपति प्रभु को देख कर डर गये, मानो कोई बड़ी भयानक आकृति है । जो असुर छल से राजवेपधारी थे उन्होंने प्रभु को प्रत्यक्ष काल के समान देखा । अपने हृदय में हर्षित होती हुई महिलाओं ने अपनी अपनी इच्छा के अनुसार उनको देखा, मानों भृंगार रस शरीर धारण कर अति सुंदर रूप में शोभायमान हो । ज्ञानियों को प्रभु विश्वतोमुख विश्वतोबाहु, विश्व- तस्थात्, विश्वतश्चक्षु और विश्वतः शीर्ष, ऐसे विराट रूप दिखाई दिये । जनक राजा के साथ रानियों ने देखा, उस समय की उनकी वत्सलता का वर्णन नहीं करते बनता । ( Contd. on p. 79 )