पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१५५

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Pada 14] The Relation of God ૨૭ (१४) अनुवाद. हे प्रभु, मुझ नेत्रहीन को रास्ता दिखाओ। मैं पद- पद पर ठोकर खा रहा हूँ । तुम्हारी नगरी विकट पहाड़ी पर बसी है | चलते चलते मैं गिर पड़ता हूँ । मेरे चारों ओर घोर अंधकार फैला हुआ है ! ऐसा न हो कि मैं तुम्हारा द्वार भूल जाऊँ । हे प्रभु, एक बार मेरा हाथ पकड़ लो तो मैं अपने मन का दीप जला लूँ !