पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१८२

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१२४ परमार्थसोपान [ Part I Ch. 4 9. ON TURNING EVERY MOMENT TO SPIRITUAL USE. चेतना है तो चेतले, निसि - दिन में प्रानी | छिन छिन अवधि विहात, फूटे घट ज्यों पानी ॥ १ ॥ हरि-गुन काहे न गावहि, रे मूरख अज्ञाना । .. झूठे लालच लागि के, नाहीं मर्म पिछाना 113 11 अजहूँ कछु विगो नहीं, जो प्रभु गुन गावै । कहि नानक तेहि भजन तें, निरभय पद पा ॥ ३ ॥