पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१८६

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१२८ परमार्थसे । पान [Part I Ch. 4 11. LIKE A GOOD WEAVER, PLEASE YOUR MASTER BY PRODUCING A DURABLE GARMENT OF CLOSE AND CONTINUOUS TEXTURE. कोरी साल न छोड़े रे, सब घावर कौं का? रे ॥ टे ॥ प्रेम प्राग लगाई धागे, तत्त तेल निज दीआ । एक-मना इस आरम्भ लागा, ज्ञान राछ भर लीया ॥ १ ॥ नाम नली भरि वुण कर लागा, अन्तर गति रंग राता । वागै बागै जीव जुलाहा, परम तत्व सों माता 113 11 सकल शिरोमगि कुनै विचारा, सान्हा सूत न तोड़े । सदा सचेत रहै लौ लागा, ज्यों टूटे त्यों जोड़े ॥ ३ ॥ ऐसे तनि बुनि गहर गजीना, साई के मन भावै । दादू कोरी कर्ता के संगि बहुरि न इहि जग आवै ॥ ४ ॥