पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१८९

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Pada 121 Pilgrimage. १३१ (१२) अनुवाद. 1 अरे, तब भी कच्चा ही है । गुरु को बच्चा नहीं है । दुनिया को छोड़कर, तन पर राख लगाई । वन में जाकर बैठा । वज्रासन पर खेचरि मुद्रा लगाकर मन में ध्यान धरता है । गुप्त होकर प्रगट होता है और मथुरा व काशी जाता है । प्राण को शरीर से बाहर निकाल कर सिद्ध हुआ और सत्य लोक का वासी हुआ । तीर्थ कर कर के योग की युक्ति में सारी आयु खो दी । धन और कामिनी को दृष्टि में नहीं लाता है । भारी योग कमाया है । ( Contd. on p. 133 )