पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१९८

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१४० परमार्थसोपान [Part I Ch. 4 15. SURRENDER, THE ESSENTIAL CONDITION OF GRACE. सुना रे मैंने निर्बल के बल राम ॥ टे ॥ पिछले साख भरूँ सन्तन की, अड़े सँवारे काम जब लगि गज वल अपनो वरत्यो, नेकु सन्यो नहिं काम | निरवल है, बल राम पुकायो, || 2 11 आए आधे नाम अपवल, तपवल और बाहुबल, चौथो है बल दाम | मूर किसोर - कृपा तें सब बल, हारे को हरिनाम ॥२॥ ॥ ३ ॥