पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२०२

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Y परमार्थसे । पान [Part I Ch. 4 17. MIRA'S MIND ON THE RACK. जोगी मत जा, मत जा, मत जा, पाँइ परूँ मैं तेरी ॥ टे ॥ प्रेम भक्ति को पैण्ड़ो न्यारो, हम को गैल लगा जा 11 2 11 अगर चन्दन की चिता रचाऊँ, 113 11 अपने हाथ जला जा जल बल भई भस्म की ढेरी, अपणे अंग लगा जा मीरा के प्रभु गिरधर नागर, 11 3 11 ज्योत में ज्योत मिला जा ॥ ४ ॥