पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२१२

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રૂપર परमार्थसोपान [ Part I Ch. 5 4. SURDAS ON DIVINE OMNIPOTENCE AND SUPERSENSUOUS EXPERIENCE. बन्दउँ श्री हरि - पद सुखदाई ॥ दे. ॥ जाकी कृपा पंगु गिरि लँधै, अन्धे कूँ सब कछु दरसाई ॥ १ ॥ बहिरो सुनै गुंग पुनि बोलें, रंक चलै सिर छत्र धराई ॥ २ ॥ सूरदास स्वामी करुणामय, बार बार बन्दउँ तिहि पाई ॥ ३ ॥