पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२१७

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Pada 6] Ascent १५९ (६) अनुवाद. पदों के बिना चलता है । कानों के बिना सुनता है । हाथों के बिना अनेक प्रकार के कर्म करता है । मुख के बिना सब रसों का भोगने वाला है। वाणी के बिना भी वह योगी बड़ा वक्ता है । बिना शरीर के स्पर्श करता है । नयनों के बिना देखता है । घ्राण के बिना समस्त वास ग्रहण करता है । इस तरह सब प्रकार उसकी करनी अलौकिक है, उसकी महिमा कही नहीं जाती ।