पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२२५

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Pada 101 Ascent. ૨૨૭ (१०) अनुवाद. अन्य देवालय ऐसे हैं, जहाँ पर अंधेरी पूजा होती है; क्यों कि वहां देवता दिखाई नहीं देता । हमारा देवता प्रत्यक्ष दीख पड़ता है । वह बोलता है, चलता है और खाता है । जहाँ देखें वहाँ प्रभु का ही मंदिर है । जहाँ मैं उसकी अखण्ड सेवा करता हूँ । पूजा की विधि भली भाँति जान ली है, जिससे प्रभु प्रसन्न होता है । उसे सम्मान का स्नान कराता हूँ और स्नेह का चन्दन लगाता हूं । दीन होकर मीठे वचन रूपी पुष्प प्रभु पर चढ़ाता हूं । वार बार रिझा रिझा कर उसका दर्शन पाता हूं और उस पर अपने को न्योछावर करता हूं । चरनदास कहते हैं कि सुकदेव ने मुझे मार्ग बताया, जिससे मैं अहोरात्र सुख पाता हूं ।