पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२३१

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Pada 12] Ascent ( Contd. from p. 272 ) मोतियों को बरसाने वाला मेघ ज्ञान दाता ब्रह्मा है । घरसने वाले मेघों की निधिड़ श्रेणी दीख पड़ती है । ताराओं से अलंकृत, पालने वाले, अलमस्त विष्णु का रूप दिखाई पड़ता है । वलयों से वेष्टित, प्रकाशमान मण्डलों से युक्त मतवाले शिवजी हैं । यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का रूप हुआ। आगे चल, आगे कुछ और दिखाई देगा | बड़ी लहर और नई बहार होगी । मन तुर्यावस्था में गर्क होगा । बिजली की लहलहाट दीख पड़ेगी । नरहरि नाथ मेरे गुरु हैं। मैं " महिपति " तेरा गुलाम हूं। और क्या कहूं ! जिसका स्थान वेद भी नहीं जानता, उसको मैंने अपनी आँखों से देखा । स्वामी सच्चा है गुरु गोसाई ने उसका मार्ग मुझे बताया । मेरे सब भ्रम और भ्रमण मिट गए । जन्म-मरण की डोरी टूट गई । कर्म की कोठरी फूट गई । लगन लगी हैं। हृदय मग्न होकर हर्पित हो गया है। बिजली की लहलहाट चमक गई ।